मनोरंजन पुस्तकमाला | Manoranjan Pustakmala

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Manoranjan Pustakmala  by श्यामसुन्दरदास - Shyaam Sundardas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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“महर्षि -सुकरांत । पहला अध्याय । खुकरात के समय में यूनान की अवस्था | हर्षि सुकरात की जीवनी -वणन करने के पहले उसके हि देश की त्तत्काछीन अवस्था का कुछ दिग्दशन्‌ फरा दूना , उपयुक्त होगा! सुझरात ने जिस समय जन्म प्रद्ण किया _ था उन. दिनों यूनान में प्रजातंत्र राज्य का चढ़ता जमाना था | थोड़े दी दिन इए थे कि यदद अत्याचारी शासकों के पंजे से छूट चुका था और स्वभावत: इन दिलों लोगों की स्कूर्ति सब: बातों की ओर हो रद्दी थी।. आधुनिक भारत- चपे की तरह वहाँ भी उन दिनों साना प्रकार के देव देवी माने “जाति थे और पंड़े पुजेरियों का जमाना था । भ्त्यु के पश्चात णी कहाँ जाता दे ? सष्टि क्रिस प्रकार से हुइ और कैसे . नाश होगी ? आत्मा और परमारमा कया हैं र--इन गूद बच्चों के प्रइनों का समाधान सब छोग लोकमत के अधघार पर, संवे-_ 'साधारण की रुचि देख कर करते थे । लोगों की रुचि स्वाभा- ' चिक हो कषणिक वर्तमान ईंद्रियन्सुख की ओर दोती है. और वे. ही पंडित या 'पंड़े पुजरी अपना ' काम साध लेते हैं. जो 'सर्च- _. ' दर




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