साहित्य का इतिहास - दर्शन | Sahitya Ka Itihas-darshan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अध्याय-१ डे विद्वानों का ऐसे इतिहास से अपने यहाँ परिचय नहीं था यद्यपि सिद्धांतरूप में कार्लाइंल केह चुका था कि इतिहास वैसा दर्शन है जो दृष्टांतों के माध्यम से शिक्षा देता है । १. क ग ही ४. के टिप्पणियाँ लाइधएणाप उड दि 06 फ्ट्याद एणंघाा का उ्तताशप परिधि पा 1६ 15 का दि एन धजाडदवा फट ५02. 120 0 घिंडण्सिएक। 5656 15 50 टॉपाघटालापंडपिंट फिघ घाट 1016 0०फ़ा56 04 8&एडॉघप प्र।टा घ६पाड दंड तंकाािटशट्ते 9ए प्ाण८ इाघप017 0 पापंड तरदिए इपर्टिटिपाफ््ठ 85 1 6०68 कण 270 पाए 20586ा06 एप एफश्ण्णण०्टफ नएटीववद्चणाब दाद उदय पुर १०३ . 2 0टां०ए६ 1ता2 925 0बपुपब्धि७त ६० पड 00 पडिप्ण्सिंटक। फणाु्इ नएडीपाइपं २ दाद उदय सजाया 7क्वी्0ा पृ० २३ यही भूल अरबी यात्री अलबेरूनी ने की थी। १०३० ई० में भारत पर लिखित अपनी पुस्तक में वह कहता है-- न फ़लधपाएड पडा घि घिाकितणड 6०. ०६ फ2४ फ़ापर्टा। 8धट्एपिंघा 0 इििट फाडणांट्डा गउहा ०घ. घफचड पिएटफ घाट एटा एम टॉटड5 कप 7टाडपघंण पंएट ८्फा०््ण० टाटा इप८०८688070 0. घिटाए किंदाहुड छाए फपदा फिट भा. ए6886ं छिए इ्ाणितापा&पधिणा 200 धार 2 2. 10855 00 हिप्0जांएट भा 0 85% पचटफ इफ़दापं2 019 8८ 0 1020 लग जा 0. &ाविक कांड उवीधि पूष १०३ दे० १ ख । वायु-पुराण १ २००-१ पद्म पु० ५ रे ०-र दिव पु० ५ १ ३५ सहाभारत १ २ ६४५ तथा १ १ २६०। पाजिटर ने उपयुंक्त पुस्तक के प्रथम पृष्ठ पर थे इलोक उद्धृत किये हें और संदभे-संकेत पाद-टिप्पणी में दिये हैं । +घताधं0छ . फट ०0पछ ए650प्ा०ट अंफ्ट्ट ंडणाट भाणहड आठ ़न्धपिफए 2ए 18 000 20० पह्ाक्रिपडटजण प्र प्तावंड 10. घंटा चिंपाटड इप्टाण पिफ़्टघ एटपवदिटपाए भ्ाटा फट तंकिाटए०ट फटा घिपाए ाफत दििडटाण०00 2.5. 20घएत2ा फाए०0#6 95 200. 89.प्रांएछुड 80४7 0 #85. एकपएा8 0. टार्टाणिट ध्पि2द घिएटप् इिणा व. तीइटलंपर्फे्घाट फाफिका भा घिफ्ट ाए फाा्टइटाएट दा 200 फ़ाड0णतं०21 घादतीघ्रे0फ द्ापड 96 ८०णञंतेहा 66 10 पछंड पद उपरिवतु पृ० ३ । फिट ुट्पादाथा घपइपजिण पंप 0 घष्घाप्रिंघाा 15 पट किट एलाप0ण0डा2 16 #्टाटएटा 1६ 025 96टाा फ05अं016 0. 65६ फिघताघणा 9४ फट +८5पाएड 0 ताइ८०एटापंटड 20 ८. पिं०ाड 200 ५८ 860पात तांडघएपड इ८वुछिटलइ्शा 90 रण 1्ण्णडा0८८. किट 00०डंघ०0 0०9 इड धिघिंड-नफाटाट 15 2. इघिणाए छा ट्पपफू- पंणा 1 दिप्०घा 04 घातीाएंणा घी एप एए८ 0०255 ए2पापिणा पिशट 0पाएंदा। पिंड 09 पिंगद 0 इ्०५ पिंड ही उूंड भाण्णड बप पं कट 0०65 घना घिकतं- प्रं०्पर प्रणुक्रे फ्राट् ्ि्ए उपरिवत प० ६ ।




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