श्रीमहारावल रजत जयन्ती अभिनन्दन ग्रन्थ | Shrimaharaval Rajat Jayanti Abhinandan Granth

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Shrimaharaval Rajat Jayanti Abhinandan Granth by लक्ष्मण सिंह - Lakshman Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(दे ) एवं राष्ट्रियि उत्कष की सम्भावना की जा सकती है तो इसका श्रेय सर्वप्रथम श्रीमान्‌ नरेश को है जिनके शुभ निमित्त से ऐसा कार्य करने की हमें प्रेरणा मिली; फिर इसका श्रेय उन समस्त विद्वान लेखक महानुभावों को है जिन्होंने बिना किसी स्वार्थ के केवल विद्याव्यसन एवं सरस्वती की श्राराधघना के भाव से श्रपनी उत्कृष्ट रचनाएँ; देने का श्रनुग्रह किया है, जिनसे ग्रन्थ का कलेवर सजा है श्रौर उनके बाद उन समस्त प्रजाजनों को श्रेय है जिनके त्यागपूर्वक दिये गये घन से यह कार्य सम्पन्न हो सका दै । इशिडयन प्रेस, लिमिटेड , प्रयाग के अध्यक्ष श्री घोषबन्धुश्रों ने इस कार्य में ह।दिक सहयोग दिया है श्रत: हम उनको धन्यवाद देना अपना कर्तव्य समभकते हैं । विनम्र : -- डू गरपुर (राजस्थान) तारीख १ जुलाई, १६५० ) की मंत्री, ग्रन्थ-सम्पादन समिति, डूं गरपुर




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