सिद्धान्त सूत्र समन्वय | Siddhant Sutra Samanvay
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
216
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about सेठ वंशीलाल गंगाराम - Seth Vanshilal Gangaram
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हिष गणना में श्रा सकता है? हिंर भी दम लोग छापने
पाशिडत्य का घमरड करें ओर जनवा के सरमत्त बोर बाण झथवा
वोर उपदेश कइकर श्रपनी समक के अनुसार ऐसा इतिहास
उपस्थित करें जो शाक्ों के झाशय से सबधा विपरीत है तो वह
वास्तव में त्िद्वत्ता नहीं है, आर न प्राह्म हैं । डिन्तु अपनी तुथ्द
बुद्धि का केवल दुरुपयोग एवं जनता का प्रतारण मात्र है ।
झाजकल समाज में कतिप्य संग्धायें एवं तरिद्धान ऐसे भी हैं
जो धपनो समभक के अनुसार झानुमानिक (श्न्दजिया) इतिहास
लिखकर प्रन्थ कर्ता -भाचार्या के समय थ्ादि का! निणंय देने
चोर झागे दोछे के थाचारयों में किन्दीं को प्रामाणिक किन्दीं को
प्रामाणिक ठददराने में हो लगे हुए हैं । इस प्रकार को कल्पना
पूण खोज को वे लोग अपनी समक से एक बड़ा थात्रिप्ार
समनते हैं ।
इमी प्रकार भाज कज् वद पद्धति भी चल पड़ी है कि केवल
१०८ पृष्ठ का तो मूल एवं बटोक प्रंथ है, उसके साथ १४५० पृच्ों
'को भूमिका जोड़कर रसें परैसिद्ध किया जाता दै रस भूमिका में
.प्रंथ घोर प्रंथकतो आाचायोँ की ऐसी समाकोचना को जाती है
जिससे प्रंथ भर दखके रच यिता-झाचार्यों की मान्यता एबं
प्रामाणिकता में सन्देद ठथा ज्रम दत्पनन होता रहे ।
जिन बीतराग महषियों ने गृदस्थों के कल्याण की प्रचुर
भावना से उन प्रत्यों दी रचना की है, उनके उस मदन उपकार
आर कृतज्ञता का प्रतिफल थाज इस प्रकार विपरीत रूप में दिया
User Reviews
No Reviews | Add Yours...