मुद्रा चलन एवं आधिकोषण | Mudra Chalan Aur Adhikoshan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
88 MB
कुल पष्ठ :
610
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
एस. एम. शुक्ल - S. M. Shukla
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विजयेन्द्र पल सिंह - Vijayendra pal Singh
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)गया तथा विस्तृष् रूप में रेत के सु
शूटर र् साधारणतथे ऋणों के भरुगद्न में स्वीकार की जाती है ।”*
* प्रो० ऐली का मत है कि मुद्रा ऐसी. कोई भो. वस्तु है जिसका
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विनिमय के माध्यम के रूप में स्वतन्त्रतापूवक हस्तान्तरण होता है श्र जो
ऋणों के श्रन्तिम भुगतान में सामान्य रूप में स्वीकार की जाती है ।”* '
डर का कथन है कि :-*“यह ( मुद्रा ) वह चीज है जिसे
साघारणत' विनिमय माध्यम मान लिया गया हो; श्र्थात् देना-पावना
चुकाने का जो साधन हो श्र साथ ही जो मूल्य की माप और * उसके
कोप की. काम करती हो |”? 3
के रूप में उपयोग की ज़ाती है
: न कीन्ज के द्नुसारन मुद्रा वह है जिसको देकर कण के
प्रसंविदों ((19107'..0108) तथा मूल्य के प्रसंविदों का मुगतान किया जी
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पथ के मध्यम श्थवा मल्य के समान के रुप में सामान्य रुप मं स्वीकार
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वाघ के विद्यार मं :-र्नमुद्रा से थे चस्तुयं सम्मिलित होती हैं जो किसी
पक समाज में सामान्य रूप में स्वीकार की जाती हैं अर जिनका विनिमय
के माध्यम के रूप में स्वतन्बतापूबक हस्तान्तरण होता है” किन्तु कोई
जी नुदई नहीं होती है जो सभी स्थानों पर स्वीकार की जाती हो सौर
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