संस्कृति का पाँचवाँ अध्याय | Snskriti Ka Panchavan Adhyay

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Book Image : संस्कृति का पाँचवाँ अध्याय  - Snskriti Ka Panchavan Adhyay

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about किशोरीदास वाजपेयी - Kishoridas Vajpayee

Add Infomation AboutKishoridas Vajpayee

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
[ ११. ] समाज में अत्यधिक सम्मान पा लता है, उँचे पद पर पहुंच जाता ह ओर कोई साधारण स्थिति में ही रह्द जाता है। कोई बहुन नीचे भी गिर जाता है । परन्तु सबका कुटुम्य एक ही हैं ! उच्च स्थित के सदस्य से कुटुम्ब का सम्मान बढ़ता हें. ओर नीच से अपमान भागना पड़ता है । इसी तरह राष्ट्र के-जार्ति ककिसी एक ही सदस्य से सब का सिर ऊँचा हो जाता है। छे।र एक ही ये नीचा भी हो जाता है । एक घर के व्यक्तियों के काम जे अलग-अलग होने हैं, उसी तरह जाति के लोग भी अलग अलग काम करते हूं - अलग-झलग स्थिति भी उन की होती है | परन्तु जाति से सच एक हैं । उदाह्दग्ण लीजिए । हिन्दू जाति है, जिसमें दजारों वग हूं. जिन का समावेश चार वर्णों में किया गया है । ब्राह्मण से लकर मंगी तक, सब एक जाति फे हैं--सब का जन्म हिन्दुस्तान में हुआ हैं। सच के संस्कार एक-से हें-- सबकी संस्कृति एक हु । न्राह्मणु से लकर संगी तक, सभी वर्गों के हजारों स्त्री-पुरुप कहीं खड़े कर दीजिए ओर फिर किसी दूसरी जगह के व्यक्ति को सामने ला कर खड़ा कर दीजिए, जो उन्हें पहल से जानता नहों। फिर उस से कहिए कि इस समृह से ब्राह्मण, क्षत्रिय वश्य, लुहार, चमार, भंगी आदि वर्गों के व्यक्तियों को छाँट कर अलग कर दीजिए; तो वह सा जन्मां में भी वसा न कर सके गा | क्यों ? इसलिए कि वे सब एक जाति के हैं-- सब हिन्दू हैं। सब को संस्कृति एक है । अच्छा, रूप से न सद्दी, नाम-भेद से वह सब को प्रथक्‌ प्रथकू वगंशः पहचान सकेंगा ? हृगिज नहीं । ब्राह्मण कद्देगा - मेरा नाम केशव, बाप का नाम रामचन्द्र । भंगी भी कहेगा--नाम मेरा केशव, बाप का नाम रामचन्द्र । ब्राह्मण की लड़की भी सावित्री, सुशीला आर भंगी की भी




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now