चीन की राज्यक्रांति | Cheen Ki Rajayakranti
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
34 MB
कुल पष्ठ :
211
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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डिंतीयं अध्याय |.
सन्चू राज्य को स्थापना |
का लेख चुके *» १2
हम ऊपर ।लख चुक हु
अपनी चिर-सुरक्षित' स्वतंत्रता खों दी । इस दुघटना के कारण वह्दी थे
जो ऐसे अंवसरों पर ऐथ्वी पर अन्यत्र थी देखे गये हैं । ऐसा बहुत कम
हुआ है कि एक जाति, विशेषतः एक वहुसंख्यक, सभ्य और सम्रद्ध जांति
को दूसरी जाति ने केवल अपने वाहुबल से दबा लिया हो । प्रायः यहीं
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. देखा गया है कि जातिंयों ने घरेलू कलह से अपने को दुबल बना कर
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अपना स्वातत्र्य खों दिया हैं / भारते को इतिहास ही इस प्रकार के सैकड़ों
उदाहरणों कीं खानि है |
_ यहीं अंवस्था चीन की हुई । कई अयोग्य सम्राटों की परम्परा ने
राज का वले कम कर दिया था । इस का फल त्पुंग्चिंग को भोगना पड़ा ।
उसके सिंहासन पर चैठने के कुछ ही काल पीछे ले-त्स्जेचिंग और शंग-
पथकू काम करने से हमारे आपस सें ताड़जाने की भीं सम्भावना है
जिस से सम्राट हम दोनों को दबा देंगे । अतः इन दोनों सें यह निश्चय
हो गया कि “ले तो होनन प्रान्त ले और शंग स्क्ेच्वान और हूकांग ।
ः इस सन्धि से इनका बल और बढ़ गय। -र फलतः सकौर का बल
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आर घट गया । प्रजा था. उदासान सा हाथी उस न मी राज का.
कोई विशेष सहायता न की ।
कैफुंग-फू नामक एक बड़ा नगर है । उस सें . कुछ सकारी सेना थी 1
यह सेना नगर के भीतर के किले सें थी । “ले ने इस किसे. को घेरा 1
सकोरी सिपाही वार थे। उन्होंने दृढ़ प्रतिज्ञा कर ली किशाद के हाथ में किला
कि त्छुंगचिंग मिंग कुल का अन्तिम नरेंश और
चीन का अन्तिम चीनी सम्राटू था । उसी के शासनकाल में चीनियों ने
च जय है बिन स्टिर!
उप दिन दि दवा दाद: बा
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