चीन की राज्यक्रांति | Cheen Ki Rajayakranti

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Cheen Ki Rajayakranti by श्री सम्पूर्णानन्द - Shree Sampurnanada

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ट्रस्ट सपा पद “नानी मुझ, [के ड ् कस कक न च- शदिक ट्ः द्रन्िर कि न. धलकब्ाफ «रे स्पथ सब साय उपर हा रथ डर उे का हि तट डर है प्र ए् मम एस यमन कनटण नल रे स्ट...घा ६ 5 हद स्य ् “गन नरम रद लि कद न ही रे डा . ही ही: पे . द इयमपयपपयकलययरयदयनयदयथयम्यमयथथसथ सदधभसनमरवनम्यपथनममरधययलदममदकरसियययाररपलपसससससवययलनलयागत शिरिता- लाने न ७ ते || शा &- कार्ड मत ततशोहुल इक. डिंतीयं अध्याय |. सन्चू राज्य को स्थापना | का लेख चुके *» १2 हम ऊपर ।लख चुक हु अपनी चिर-सुरक्षित' स्वतंत्रता खों दी । इस दुघटना के कारण वह्दी थे जो ऐसे अंवसरों पर ऐथ्वी पर अन्यत्र थी देखे गये हैं । ऐसा बहुत कम हुआ है कि एक जाति, विशेषतः एक वहुसंख्यक, सभ्य और सम्रद्ध जांति को दूसरी जाति ने केवल अपने वाहुबल से दबा लिया हो । प्रायः यहीं १५ . देखा गया है कि जातिंयों ने घरेलू कलह से अपने को दुबल बना कर # अपना स्वातत्र्य खों दिया हैं / भारते को इतिहास ही इस प्रकार के सैकड़ों उदाहरणों कीं खानि है | _ यहीं अंवस्था चीन की हुई । कई अयोग्य सम्राटों की परम्परा ने राज का वले कम कर दिया था । इस का फल त्पुंग्चिंग को भोगना पड़ा । उसके सिंहासन पर चैठने के कुछ ही काल पीछे ले-त्स्जेचिंग और शंग- पथकू काम करने से हमारे आपस सें ताड़जाने की भीं सम्भावना है जिस से सम्राट हम दोनों को दबा देंगे । अतः इन दोनों सें यह निश्चय हो गया कि “ले तो होनन प्रान्त ले और शंग स्क्ेच्वान और हूकांग । ः इस सन्धि से इनका बल और बढ़ गय। -र फलतः सकौर का बल ५ आर घट गया । प्रजा था. उदासान सा हाथी उस न मी राज का. कोई विशेष सहायता न की । कैफुंग-फू नामक एक बड़ा नगर है । उस सें . कुछ सकारी सेना थी 1 यह सेना नगर के भीतर के किले सें थी । “ले ने इस किसे. को घेरा 1 सकोरी सिपाही वार थे। उन्होंने दृढ़ प्रतिज्ञा कर ली किशाद के हाथ में किला कि त्छुंगचिंग मिंग कुल का अन्तिम नरेंश और चीन का अन्तिम चीनी सम्राटू था । उसी के शासनकाल में चीनियों ने च जय है बिन स्टिर! उप दिन दि दवा दाद: बा




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