घनश्याम महाभारत | Ghanashyam Mahabharat
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
20 MB
कुल पष्ठ :
125
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)नरहबर कोई राहे पुरख़तर में ।
अंधेरा होगा हर जानिब नज़र में ॥
बुरा है वक़्त. वह जिसका कि डर है ।
: सख्माँ ये है कि जो पेशे नज़र है ॥
6 दमे श्राखिर रवाँ आँखों में होगा ।
कसी दिन ये समाँ आँखों. में होगा ॥
बदलती हाँ मुददब्बत च्सी निगाहे ।
हुर इक जानिब हों दहसरत की निगाहें ॥|
दमे रुखुसत हो घरवालों ने घेरा ।
खड़ा हो सब लदा असबाब मेरा ॥
हुजूमे अहिल मातम हो खिंराने ।
त्रजीजों -अक़रबा खेशो यगाने ॥
ं हर इक की हो निगाहे हसरते श्ालूद ।
खड़ी हो बेकसी बाली पै मौजूद ॥
अज्ञब मायूस हो नाकाम डइुनिया ।
तपाँ हाँ हम शसीरे. दाम दुनिया ॥
न
। किसी को एक दम की इन्तिज्ञारी ।
प् किसी के दिल में हो फिक्रे सचारी ॥
मेरे हर काम बाहम बेट रहे होँ। . .
उठाने वाले भाई छंट रहे हों ॥।
गरज सामाने रुखुसत जब हो तैयार ।
उसे तामील हो इुक्मे क़ज़ा की । .
ल् उसे हो ढील अर्जे मुद्दा की ॥
बह बिफरी हो कि आगे घर के निकल
: ...... ये मचली हो कि द्शंन करके निकलूं. ॥
पड़े जाँ और अजल में ओके तकरार ॥'
से सलवरटयककट सलवनननट लिए अरकटिससलटेस सब फिदरय दर परसंपयरपपरमरयम नजर दे वन
कि सर न पद न नए कपकपयय नया,
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