विश्व - परिचय | Vishv - Parichay
श्रेणी : भूगोल / Geography
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
148
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)न
तक पहुंचता । पिताजी कुर्सी निकाल कर आंगन में येठ
जाते ।. देखते-देखते, गिर्श्ठिंगों से वेष्रित निधिड़ नोल
अंधकार में जान पड़ता तारिकाये' उतर आईदें। वे मुभे
नक्षत्रों की पहिचान करा देते । केवल परिचय ही नहीं, सूय॑ से
उनकी कक्षा की दूरी, प्रदक्षिणा में लगने वाला समय और
अन्यान्य चिवरण मु सुना जाते । वे जो कुछ कह जाते उसे
याद करके उन दिनों अनभ्यस्त लेखनी से में ने एक बड़ा-सा
प्रबंघ लिखा था । रस मिला था, इसीलिये लिख सका था ।
जीचन में यह मेरी पहली धारावाहिक रचना थी, और वह थी
वैज्ञानिक संवादों के आधार पर |
इसके बाद उम्च बढ़ती गई । उन दिनों तक मेरी बुद्धि
इतनी खुल गई थी कि अन्दाज से अंग्र जी भाषा समभक सकूं ।
'सहजबोध्य ज्योतिविज्ञान की पुस्तके' जहां-कहीं जो-कुछ मिलीं
उन्हें पढ़ने में कोई कोर कसर नहीं रखो । बीच बीच में गणित-
संबंधी दु्गमता के कारण माग॑ वन्घुर हो उठा था फिर भी
'उसकी कृच्छता के ऊपर से ही मन को ठेल-ठाल कर आगे
बढ़ाता गया । इस से में ने यह बात सीखी है कि जीवन की
प्रथम अभिन्ञता के माग में हम जो सब कुछ समभते हों सो
बात नहीं है, और सब कुछ स्प्ट न समभने के कारण हम आगे
न बढ़ते हों, यह वात भी नहीं कह सकते । जल-स्थल विभाग
की भाँति ही हम जितना समभकते हैं उस से कहीं अधिक नहीं
समभते, तौभी काम चल जाता है और हम आनन्द भी पाते
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