आधुनिक हिंदी साहित्य की भूमिका | Adhunik Hindi Sahity Ki Bhumika

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Adhunik Hindi Sahity Ki Bhumika  by डॉ लक्ष्मीसागर वार्ष्णेय - Dr. Lakshisagar Varshney

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषय-प्रवेश दे साहित्य के साथ संप्रक स्थापित न-हो-सकने के कारण यरोपीय प्रभाव बंगाल तक ही सीमित .रद्द- 4 तत्कालीन भारत में कलकत्ता नवीन प्रभावोत्पन्न सामा- जिक ्रौर राजनीतिक चेतना का केन्द्र था । किन्ठ॒प्लासी की लड़ाई के ठीक सात वर्ष घाद अर्थात .१७६४ में बक्सर की लड़ाई श्रोर १७६५ में ्ंगरेज़ों को दौवानी मिलने के फलस््रूप टिन्दी प्रदेश का पूर्वी भाग या....घिटार .सबं-. प्रथम ंगरेज़ी राज्य के अवगत दा. सया था । स्ासी की लड़ाई के फल- स्वरूप यटि समस्त उत्तर भारत का द्वार श्रेंगरेज़ों के लिए खुल गया था, ता बक्सर की लड़ाई के बाद हिस्दी प्रदेश के प्रमुख राज्य, द्वधघ, मे अपनी स्पतंत्र सत्ता बनाएं रखते हुए भी सभी व्यावहारिक दृष्टियां से ्गरेज़ों को अधीन स्वीकार कर ली थी । यद्दीं से वें हिन्दी प्रदेश में चारों शोर फैल सके थे । तसश्चातू १८०३ में लासबारी की लड़ाई मं विजय प्राप्त कर लेने से अंगरजों ने ..दिन्द्ी प्रदेश के. केन्दों-बनारस, दिली श्रौर श्ागरा--पर अधिकार स्थापित कर _ लिया ।_.. १८०३ की लड़ाई के फलस्वरूप दिन्दी प्रदेश में मरदटों की संगठित शक्ति का. निश्चित-रूप-से--पतन हुआ -द्योर साथ ही. फ्रांसीसियां का प्रभाव . भी . हमेशा के लिए दूर हा गया । फिर २८१८ तक राजपूताना के देशी नरेशों ने भी अंगरेज़ी सत्ता स्वोकार कर ली । अवध नाममात्र के लिए १८४६ तक _नवाबों के हाथ से रदा श्र १८४५७ में विद्रोह के साथ कम्पनी-शासन का नी अंत हो गया. । श्र राजनीतिक दृष्टि से दी नं वरन्‌ अन्य दष्टियां से भी एक महत्वपण तिथि है । इससे कुछ ही व पव॑ हिन्दी प्रदेश में प्रेस, रेल, तार. श्ादि वैज्ञानिक. आविष्कारों श्र नवीन शिक्षा-क्रम का. प्रचार या । इन नवीन शक्तियों के माध्यम द्वारा उन्नीसवीं शताब्दी उत्तराद् से द्याघुनिकता कादर भी अधिक पस्फुटन हुआ । भारतन्टु दरिश्चिन्द्र (१८५०-१८८४,) का, जिनके जीयन-काल में यदद ्राघुनिकता तर भी अधिक प्रस्फुटित हुई, जन्म भी १८४५० मं हुआ जो १८५७ से बहुत दूर नहीं पड़ता । अ्स्तु, ये सत्र बातें ध्यान में रखते हुए यदि हम अपने श्ालोच्य काल का प्रारंभ १७५७ से; जब से कि मारत में प्राचीन युग का अंत श्रौर नवीन युग का बीजारोपण हुद्ा, श्र अंत १८५७ से, जो राजनीतिक श्र साहित्यिक दृष्टि से पहले की अपेक्षा श्धिक विकसित श्र हमारे समीप के युग की सूचना देता है, मान लें तो श्रधिक हानि न होगी । वैसे तो विचारों के विकास में किसी निश्चित समय या तिथि की गणना नहीं की जा सकती, किन्तु तिथियाँ, सुविधा की दृष्टि से, काल निर्धारित करने में बहुत-कुछ सहायक सिद्ध होती हैं |




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