प्रपन्नापारिजातं | Prapannaparijatam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
74
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्रीरस्तु
भी श्रीनिवासपरत्रह्मणे नर:
श्रीमत रामानुजाय नम:
श्रीमते वरदा्यमहागुरवे नस:
क वन्देडहूं वरदाये ते वत्सामिननभूपणम |
भाप्यासृतप्रदानाय: सन्नीवयति मामपि ||
न*सूडोपस्टटिन
श्रीवत्सकुलतिलकें: श्रीमद्रदाचारयमहागुरुभिः अनुयृहीत:
प्रपचपारिजात:
ए*के्मीगडड
प्रमाणपद्धति!
(अवतरणिका)
1 आचार्यायमपादेग्यो 'नमस्यासन्ततिं दे |
'यदा55सज्क्यात् पुंपां मनःपढम प्रवुष्यते ॥ १ ॥
* स्टोको ये -- श्रीमद्वरदाचार्याणों वैभवप्रकाशनेत तद्धिषिये कृत्ज्ञता-
निवेट्नपुरस्सरं वन्दूनसमपणी तानः, ' तनियन्” इति द्रा वि डभा षायां व्यवहिय-
माण:» तदन्तरज्ञशिष्यावतसै: श्रीमद्धि: श्रतश्रकाशिका चाय: श्री सुदूशीनभट्रारकै-
अनुयृह्दीतः: तदुपकारस्सृत्ये प्न्थादावल्न पूर्वाचार्थेरप निबद्ध: ॥।
1 श्रीमस्त: ;. तन्नभवन्त: . श्रीमगवडद्धागवताचार्याणां निरवधिक -
निरुपाधिकदिव्यकृपाकटाक्ष सन्घुक्षणेन समुपलब्धदिव्य विद्तम विलक्षण-
विज्ञानसवस्वाः, विशुद्धविमलदिव्यचारित्ला:, नियानवयहद्य विठक्ष ण विशिष्टा-
चुष्टाननिष्ठागरिष्ठाए, प्रपन्नजनजीवराजी वजी वातवः, परमकारुणिका: कूपा-
1. नमस्यां विदूधाम्यहमू -- पा८ गे. 2, यत्वंसर्ग -- पा० ग,
के -- आन्घ्रदिपितालपत्रुश्नन्थ: ||
ख -- भान्घ्रलिपिलिखितपुसकम् ||
ग -- अन्थलिपितालपत्रसन्ध: ॥
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