नाडीदर्पण | Nadidarpan
श्रेणी : आयुर्वेद / Ayurveda, स्वास्थ्य / Health
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
76
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand).. आयुर्वेदोक्तनाडीपरा८ पद (५...
कचिटन्थानुसंधानादिशकाठविभागतः ॥
कचित्पकरणाच्यापि नाडीज्ञानं भवेद्पि ॥ २०:॥
.' अथ-अब नाडीज्ञानकी परिपाटी कहतेहे कि कहींती नाडीज्ञान अंथ पढनेसें होताहै,
कहीं देश काठके जाननेसें; और कहीं प्रकरण वदसें नाडीका ज्ञान होता है, तात्पय
यहहै कि वेद केवल त्रंथकेही भरोसे न रहे, किंतु कुछ अपनीभी बुद्धिसें विचारे यह कौन
स्थानंहे, कीनसा काऊंहे; और ये रोगी क्या आहार विहार करके आयाहि; इसमकार
अच्छी रीतिसें विचारकर नाडीकों कहे ॥ २० ॥
सद्रोरुपदेशाद्च देवतानां प्रसादतः ॥
:. नाडीपरिचयः सम्यक प्रायः पुण्येन जायते ॥ २१ ॥
अथ-अब नाडीज्ञानकी उत्कृष्टता दिखातेहै कि सद्ररु अथात् संद्रेयके बतानेसें और
देवताओंकी प्रसन्नतांसें तथा पूर्वेजन्मके पुण्यकरके नाडी परिचय होतहि, किंतु अपने
आप पढनेसें और विनादेव कपाके तथा अधर्मी नास्तिककों नाड़ी देखनेका ज्ञान नहीं
होतांहे, अतएव जिसको नाडीज्ञानकी आवइयकता होवे वो सहरु और देवसेवा तथा
भमेम तत्पर होय ॥ ९१ ॥
नाडीपरिचयो ठोके न च कुचापि दृश्यते ॥
तेन यत्कथ्यते चात्र तत्समाधेयमुत्तमेः ॥ २२ ॥
अथे-नाडीका परिचय अथात् नाडीदिखनेका ज्ञान इससंसारमें कहीं नहीं दीख़ता
इसीकारण जो इसग्र॑थमें कहाजाताहै वो उत्तमपुरुष॑ंको अवश्य जानना चाहिये ॥२र॥
परीक्षणीयाः सतत नाडीनां गतयःपुथक् ॥
न चाध्ययनमसात्रेण नाडीज्ञानं भवेद्हि ॥ २३ ॥
अर्थ-वैयको उचितंहै कि निरंतर नाडीकी गतिकी परीक्षा कराकरे क्योंकि केवठ
पढनेहीसें नाडीका ज्ञान नहीं होता ॥ २३ ॥ व
न झाख्रपठनाद्वापि न बहुशुतकारणम् ॥
नाडीज्ञाने मजुष्याणामभ्यासः कारण परम्ू ॥ २४ ॥
' अधे-नाडीके ज्ञानमें शाखपठनेसें अथवा चहुतनाडी संबंधी वात्तोओंकि सुननेसे
नाडीका ज्ञान नहीं होता, किंतु नाडीज्ञानमें मनुष्योंको केवल अभ्यासही परम कारणहै
इस्सें अभ्यासकरे ॥ १४ ॥ कल
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