दंडिन की कृतियों का सांस्कृतिक अध्ययन | Dandin Ki Kratiyon Ka Sanskritik Adhyyan
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
20 MB
कुल पष्ठ :
516
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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अध्नाप बधम
द्राबीन भा स्तीपो के सामाजिक जीवन की सबतों मुख्य लॉस्था वर्णन्यवस्था है । दल
की शित्त्ति घर हिहन्दू लमाज का भवन लड़ा है जो अत्पन्त प्रा बीन काल से अनन्त बा यानी
का सामना करते हुये भी अब तक न टूट सका । 'व्णा श्रम ब्यवस्था का सम्बन्ध मकृब्य की)
ब्रकृति तथा उसके ब्रश्दिका से था और इस इरकार ये हिन्दू सामाजिक संगठन थे उधार हए।क+
है ।1£ सातवीं शप्ता ब्दी के जा रम्भ से ही बुद्ध और जैन आन्दीलनो का सामर्था आर दा
क्षौण दो चुकी थी । और जा हमण्घादी दुर्नजा गरण ने दूरे देश में फिर से शपोकत अर्थित का ली
थी ।“ वीर दिबन्दू धर्म के शुनरयूदय के साथ - साध वी ब्यवस्था बी भी बुन; उन्नति 0६ |
दष्डडिन की समकालीन जौवन की सम्दू्ण मद्तति, बार जातियों जिन्दें मुल्य रूप से क्राइम,
क्षत्रिय, वैश्य और शु्न के नाम से जाना जाता है, पर आधारिस्त थी ।”
ब्रा र्म्थिक काल मे जी लोग विद्या , फिक्ा , तप ,यज्ञ, धो ्िकता नादि में हिंद 1
थे वे ज़रा हबण वर्ण के अन्तंगत गृदौत निक्ये गये । ऐसे नीगो” का मुख्य का है जायवन, ता जा '
यजन,घपाजन और तब था । जो वर्ग शातन तॉबालव और राज्य -ब्यवस्था में योग एल 1!
तथा जिसका शधान क्य देश दी रक्षा तथा हशासन था बढ क्षत्रिय वर्ण था । बुबालर , हो ४
आर व्याबार जिसका प्रधान कर्म था , वह वैश्य वर्ण गाना गया । समाज के तीनों का
की सेवा और बरिरचा रक - वृत्ति करने वाला शुट्ठ यर्ण का माना गया ।* समाज में हा ह शी
को उच्च स्थान ब्राप्त था । समकालौन इतिहास भर साहित्य तथा दर्छिन के वर्ण” मै ७
तरह के बहुत उदा हरण मिलते हैं जिससे यह बता बलता है शक सातवीं शप्ता ब्दी तक ते «
आले वर्ष का स्थान जातियों ने ले लिया था । गुप्तकाल तथा गुप्तोत्तर बाल में सन्त
साहित्य और स्मृतियां” में वर्षित जातीय न्पतस्था पुन: भरिरलद्ति होगे लगी थी 1उतली-
ब्यवस्था का यह उल्लेख इवेनसीग के तर में भी मिलता है । हवेनसौग ने भी जाप राशि!
में न्टे ढुपे जा हमण, क्षत्रिय वैश्य और शूद् | समाज तथा उन जातियों” के व्यवसाय और
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