पर्वोत्सव - विवरण | Parvotsav - Vivaran

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Parvotsav - Vivaran by सुदर्शन - Sudarshan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भें प्वोत्सव-विवरण किसी भ्रकार उसने शन्नु नरेंश के पास राखी येजी । जिस समय राख पहुँची, वे सेना लेकर सुसलमानों की सहायता करने को अस्थान करने जा रहे थे। राखी मिलते दी चात उल्नट गई । उन्दोंने सुसल मानों पर झाक्रमण किया | किले के सैनिक भी चादर '्ाये घर उन्हें विजय सिली । दोनों राज्य सिन्न दो राये । चद़िनें भाइयों की भुजा मैं इस दिन राखी चाँघधती हैं भर भाई यथाशक्ति उन्हें उपदार देते हैं । केवल उपहार देने से बस नहीं दोता । लाल रंग की राखी दमें श्पने रक्त रंजित इतिहास का स्मरण दिक्षाती है । झाज जन्र कि लियों पर नाना प्रकार के 'झाक्रमण होते हैं, रास्वी इमसे कुछ चाहती है । चह कदती है कि वद्दिन ने तुम्हारी खुजा में लाल राखी वॉवकर यद्द झाशा की है कि जवतक इस यलिष्ट भुजा सें लनिक भी रक्त शेष है, तुम सब प्रकार से उसकी रक्षा करोगे । छाज के युवक क्या रास्तरी के उद्दश को पएश करने के लिये ढ़ प्रतिज्ञ होंगे ? क-जन्माश्मी नानक हवा . जन्माध्मी इतना प्रसिद्ध और व्यापक प्च॑ है कि उसके विषय में भाय: प्रत्येक व्यक्ति कुछ जानता दी है । कंस, शिशुपाल, भौमासुर, जरासन्घ भ्रद्धति जब दुएट राजाओं का प्रथ्वी पर झावश्य था, चव उस घर्स,-राजचीति, साम्य श्लौर स्वतन्त्रताशून्य घोर निशा में, भाकपद कृष्ण असी की तमसाच्छुल् रजनी में, कंस के कारागार के चन्दी चखुदेव और देवकी से, छुधवार को रोददियी नक्षत्र में उस 'मलीकिक




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