नारायण राव | Narayan Rao
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
397
श्रेणी :
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अडिवि वापिराजु- Adivi Vapiraaju
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रमेश चौधरी - Ramesh Chaudhary
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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के रूप में राज्य का स्दूब दिस्तार किया । कलिदिन्ड के सहामभु ने जग
पतिराज के स्वासी-वार्य-मिंदंटण ने सत्तुप्ट होरर “सहामस्ती राजवणो-
द्ोपक की उपाधि दी झीर उनदों दो गाँव भी दिये 1
इन तरह के उत्तम वध म धो राजा लड्मों सुन्दर प्रसाद राव का जन्मे
हुभा था । मदाचार द नूतन पिज्ञान कश्रवाण से उनका द्दय भालोवितत था।
पासचात्य विद्यादयों में भी वें पारगत थे । उन्होंने सस्दत में बी० ए० पान
किया था । प्रसिद्ध पिता से उन्होंने सम्द्त सीसी थी । उनकी जमीदारी
में क्सिनी को कोई कप्ट न था । यह सोचकर कि बिना उनके कस्याय
के भावी भारत का माग्योदय नहीं हो सकता, वे पुरानी शामन-सभा भौर
नई विधान-सभा के चुदाव में लड़े थे भौर बहुमत से सदस्य चुने गए थे ।
वे जनता के प्रतिनिधि थे । दें सरबार वो दगल में दूरी वो तरह थे ।
राजनोति में वें न्यायर्ति सुब्दाराव पन््तुलु के प्रिय शिप्य ये । सोचर्प
'रामचन्द राव के प्रिय मित्र थे । उनका यह भी विश्दास न था कि गायों
के झमहयोग आन्दोलन से देय में झराजकता फैल जायगो । इसलिए शासन
समाभों में देश द्वोहियों को स्थान न देने में ही बे एक ऐसी देश-सेवा सम-
झते थे जो वें स्वय कर सकते थे ।
जाम के जिले के नारिकेंलवलस के जमीदार कोव्विडि वोरवसर्व-
राज वरदेदवर लिये ने झपनी प्रयम पुत्री वरदबामेदवरों के साथ उनवा
विवाह दिया + उनके दो लडडियाँ और एवं लड़का था । उनकी पहली
लड़की शऊुन्तला देवी का विवाह, नेस्लूर जिले के एव छोटे-से जमीदार
भावनारायण के लड़के विश्वेरवर राव से हुमा ।
कुंभर विदवेश्वर राद बहुत घमडी थे । इगलेड जाकर भाक्सफोर्डे में
एम० ए० तक पडबर जब वें हिन्दुस्तान दापिस झाए तद उन्होंने पहले-
पहल डिप्यूटी तहसीलदार की नौकरी को थो । फिर धोरे-धीरे सिफारिश
बगेरह बरवाकर वे डिप्यूटी कलक्टर वन गए । वे यह भूल गए किं वे
जमीदार थे झौर अपने से बडे हाकिमो की झामद खद्ामद करने लगे 1
उनका बह दिदास या कि अगर अप्रेज हिंस्दुस्तान छोड़कर चले गए तो
यहाँ एक कौडा भी जिन्दा न रह सकेगा, भत्यन्त शस्य इयामल सुन्दर भारत
हिमालय मे कन्याऊुमारों तब “सहारा” का रेगिस्तान हो जायगा 1
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