नारायण राव | Narayan Rao

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Narayan Rao by अडिवि वापिराजु- Adivi Vapiraajuरमेश चौधरी - Ramesh Chaudhary

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अडिवि वापिराजु- Adivi Vapiraaju

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रमेश चौधरी - Ramesh Chaudhary

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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० के रूप में राज्य का स्दूब दिस्तार किया । कलिदिन्ड के सहामभु ने जग पतिराज के स्वासी-वार्य-मिंदंटण ने सत्तुप्ट होरर “सहामस्ती राजवणो- द्ोपक की उपाधि दी झीर उनदों दो गाँव भी दिये 1 इन तरह के उत्तम वध म धो राजा लड्मों सुन्दर प्रसाद राव का जन्मे हुभा था । मदाचार द नूतन पिज्ञान कश्रवाण से उनका द्दय भालोवितत था। पासचात्य विद्यादयों में भी वें पारगत थे । उन्होंने सस्दत में बी० ए० पान किया था । प्रसिद्ध पिता से उन्होंने सम्द्त सीसी थी । उनकी जमीदारी में क्सिनी को कोई कप्ट न था । यह सोचकर कि बिना उनके कस्याय के भावी भारत का माग्योदय नहीं हो सकता, वे पुरानी शामन-सभा भौर नई विधान-सभा के चुदाव में लड़े थे भौर बहुमत से सदस्य चुने गए थे । वे जनता के प्रतिनिधि थे । दें सरबार वो दगल में दूरी वो तरह थे । राजनोति में वें न्यायर्ति सुब्दाराव पन्‍्तुलु के प्रिय शिप्य ये । सोचर्प 'रामचन्द राव के प्रिय मित्र थे । उनका यह भी विश्दास न था कि गायों के झमहयोग आन्दोलन से देय में झराजकता फैल जायगो । इसलिए शासन समाभों में देश द्वोहियों को स्थान न देने में ही बे एक ऐसी देश-सेवा सम- झते थे जो वें स्वय कर सकते थे । जाम के जिले के नारिकेंलवलस के जमीदार कोव्विडि वोरवसर्व- राज वरदेदवर लिये ने झपनी प्रयम पुत्री वरदबामेदवरों के साथ उनवा विवाह दिया + उनके दो लडडियाँ और एवं लड़का था । उनकी पहली लड़की शऊुन्तला देवी का विवाह, नेस्लूर जिले के एव छोटे-से जमीदार भावनारायण के लड़के विश्वेरवर राव से हुमा । कुंभर विदवेश्वर राद बहुत घमडी थे । इगलेड जाकर भाक्सफोर्डे में एम० ए० तक पडबर जब वें हिन्दुस्तान दापिस झाए तद उन्होंने पहले- पहल डिप्यूटी तहसीलदार की नौकरी को थो । फिर धोरे-धीरे सिफारिश बगेरह बरवाकर वे डिप्यूटी कलक्टर वन गए । वे यह भूल गए किं वे जमीदार थे झौर अपने से बडे हाकिमो की झामद खद्ामद करने लगे 1 उनका बह दिदास या कि अगर अप्रेज हिंस्दुस्तान छोड़कर चले गए तो यहाँ एक कौडा भी जिन्दा न रह सकेगा, भत्यन्त शस्य इयामल सुन्दर भारत हिमालय मे कन्याऊुमारों तब “सहारा” का रेगिस्तान हो जायगा 1




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