अपना रास्ता लो बाबा | Apana Rasta Lo Baba

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Apana Rasta Lo Baba by काशीनाथ सिंह - Kashinath Singh

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about काशीनाथ सिंह - Kashinath Singh

Add Infomation AboutKashinath Singh

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
अपने करीब बुलाया डाक्टर ने तुमसे भी बताया था न कि कछ नहीं है। वहां तो। आपने भी तो सुना था। बस यही सुनना चाहता था । बाबा ने देवनाथ की पीठ ठोंकी जा अब खा के सो जा । कल तड़के ही चला जाऊंगा । नहीं कल केसे? देवनाथ ने कहा । नहीं अब जाऊंगा कल। जा जा के खा। बाबा ने उन्हें ठेलकर उठाया।. वे धीरे-धीरे खाने वाले कमरे तक आये। आशा बच्चों को सुना रही थी-बुढ़ुऊ की खुराक । उनका चपर-चपर खाने का ढंग । बोलते केसे हैं । वे खड़े रहे। उन्हें भूख नहीं थी । अचानक उनकी नजरें गगरे पर चली गयीं । उनकी आंखें भीख गयीं । जंगले के पास चौखट पर बैठ गये। आंखों के आगे अपना गांव उभर आया। वह बगीचा वह होला पाती । वह चलवा आमों की लूट। सिंघाड़े चुराना और पोखर में भौरे पकड़ना। आज कितने साल हो गये। सारा कुछ हवा में खो गया है। और बाबा जब 15




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now