भुवनेश भूषरा | Bhuvaneshbhushan

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Bhuvaneshbhushan by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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.... सवचंश मुषख+ ... . १७ मोहिंतोनेकू ऊखायन । न्नातखरे अरसात' अंहो सवनेश थकेहियकी अवजायंभ ३५ आईहुंसें ऊखि एके अनोखी सुकचन बेलि न जातबखानी । इन्दू अ्रकाशित:ताये उस लखि कंज़ब्रफंछितसे सुखंदानी, ताडिगंहीमुवनेश लो यंकबोल-कपातं-सकोंकिऊंचानी। लाउचंहे चछिकें ठखि ठुनहीं कहती ,तुमसो में कहानी .३४ बन्द सरन्दन के बिकसे 'अंरविन्दन में करू थी झधिकाने । देखिंपरें अन-. राग:भर मंदमाते मलिन्दू सेठ सरसीने :। पावन पात गुछावनर्क “रब कंटकह परते दरशाने:। आंजु प्रभात समय मवनेश उंखी सपसा, अनभुत : अजाने ३६ ऊंची उसास:विसिर कड़ा छत बन -बग, अनेक, बने । गुंजत मार,संनावित' मोर कंरें बह शोर चकोर- घने । त्यीं क- वनेशनुसीरे,सेमीरं-वह कह मन्द सुर्गधंसने । है कर कंगन को. कह आंरंसी-देखिहो होते कहें नें मंन॑ ३७ चड्रिकां चेंदसेआननकी- अवंडो कि,सरोज़सब, सकुचाने बाखसी बंकं--बिंछोकनि जानक, त्का खरा कानन माईिं . छिपाने प्राय 'घ्रजकी.बर्नितानि के.“ आनिके 'रावरे पिजिकोानि व. सांचीकेहों मवनेश अनकिन .प शिरोभाह इरासेंन:तांने 23८ :तबता सख, चंदते लोहि 'छियो, इन! चित्त. चंकोर नें: शोससनें। भवनेश त्वों न्नीति-कोरीति बटायन अंतररास्यों कऊुसंपने 1 :मवो, कहे से जानि: पर अवध निठराई रही इतनी संमते व .दिमेनि-तका-, चतं-हो”हमकों बसेदिश मैं हो. पे. विदेशी बन ३६: वक :: तोहसाचंद सो आननेई, छंबियुंडकु सूर -सुासिनमा,. इन थे




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