अफगानिस्थान का इतिहास | Afghanistan Ka Itihas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अफगानस्थान -दत्तान्त । ९९ तरहके युरेशियन, ९७ तरदके हिन्दूस्थानी व्यौर शेष सब युरेशिवन स्पौर हिलुस्यानो हैं। रुक टरटरेसरस पैर दुसशे बुकेनट खास इस देशकौ चिड़िया च्यण्डा देनेके सौसमसें भारत दौर व्यफरिकाके मरुस्यलको कितनी हो चिड़ियां व्यफगानस्थान जाती हैं। जाड़ के दिनोंमें व्यफगानस्थान युरेशियन पक्षियोंसे भर उठता है। व्यफगानस्थानमें भारतवष- केसे कितनी को तरक्क सांप व्यौर विच्ू हैं। यह्दांके सांपों में कम च्यौर विक्ऋ में विष छोता झै।. व्यफगानस्थानके सेंडक झुछ तो युरेशियन एके व्योर झुछ हछिलडुस्थानो!एज़के हैं। करण खिफ काइलमें छोते हैं। मछलियां कहुत कम हैं। जितनो हैं, उनमें छिडुस्यानी व्यौर युरेशियन इन्हीं दो किस्मोंको हैं | पलुर पशुओंमें ऊंट सुडट़ छौर सोटा ताला छोता है। सारतके दुबले लम्बे डर्ग्ग ऊटॉकोौ व्यपेक्षा बुत व्यच्छा कोता डे व्यार व्यद्यन्त सावधानौपूव्वक पाला जाता डै। कच्ची दो कोछ्ानक भो उ ट दिखाई देते हैं, किन्तु देशी नद्दों छोते। यह्ांके घोड़े भारतवधे भेजे जाते हैं। च्यच्छे वोड़े, सैमना, खुरासान व्पत्र तुकंसान व्यादि स्थानोंसें सिलते हैं। यह्ांके यादू सुन्दर व्योर सुद़ छोते हैं। इनसे बोस लादने सवारोका कान लिया जाता है। ' यह. लड॒र नवरोंझा काम बहुत व्यच्छो तरकसे कर सकता छू, किन्तु घो ड़ का काम नं कन्वार च्यर सोस्तानको गाय इध दिया करती हैं। दूध, थो, दक्षो सब्त वक्त च्यक्छा पीता है। देशमें दो




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