सचित्र हिन्दी व्याकरण | Sachitra Hindi Vyakaran

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Sachitra Hindi Vyakaran by विद्यासागर बृहद्वल - Vidyasagar Brihadval

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(९) तुलना या अवस्था--षक वस्तु को किसी से बढ़ कर या सब से यद कर बताना । (१) भूलावस्था या स्वरूपावस्था--ष्क वस्तु की पहिली अवस्था को कहते हैं नखे “” अधिक ” (२) उत्तरावस्था-'प्क वस्तु को किसी से वद कर बताना, जखे अधिक से “ अधिकतर ”' (३) उत्तमावस्था--प्क वस्तु को सब से बद कर बताना, लैसे अधिक से ” अधिकतम” क्रिया--जिस पर कर्ता का काम नि्भर हो, प्रायः पद के अन्त में 'ना' जुड़ने से बनती है, जैसे- खाना, खेलना । सकर्मक--कर्म वाली क्रिया को कहते हैं, जैसे- * राम राठी खाता है” यहां ' रोटी” कर्म है, इसल्यि ' खाना ' क्रिया कर्म वाली दोने से सकर्मक है। अकर्मक--बिना कर्म वाली क्रिया को कहते हैं, जैसे ' राम बैठता है. यहां कोहे कर्म नदीं है, इसछिये ' बैठना ' क्रिया अकमंक है । दिकर्मक--ढा कर्म वाली क्रिया को कहते हैं, जेसे ' खाना? से ' खिलाना ' (राम लक्ष्मण को रोटी खिलाता हे ) त्रिकर्मक--तीन कर्म वाली क्रिया को कहते हैं, जेखे ' खाना! से * खिलवाना ' ( राम लक्ष्मण को भ्रस्त से रोटी खिलघाता है ) कर्सपूरक--घाक्य में कर्म के होते हुए भी यदि क्रिया का भाव




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