जनपद - जालौन की गणेश प्रतिमाओं के विशेष सन्दर्भ में बुन्देलखण्ड की मूर्तिकला में गजानन गणेश | Janpad - Jalaun Ke Ganesh Pratimaon Ke Vishesh Sandarbh Mein Bundelakhand Ki Murtikala Mein Gajaanan Ganesh

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Janpad - Jalaun Ke Ganesh Pratimaon Ke Vishesh Sandarbh Mein Bundelakhand Ki Murtikala Mein Gajaanan Ganesh by गीतांजलि अग्रवाल - Geetanjali Agarwal

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about गीतांजलि अग्रवाल - Geetanjali Agarwal

Add Infomation AboutGeetanjali Agarwal

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
संस्कृति, कला, साहित्य, वाणिज्य तथा सामाजिक समृद्धि हेतु नियोजित कार्य करते हैं । इसके अन्तर्गत विभिन्‍न मतावलम्बियों के साधनास्थल तथा मंदिर बनाये जाते थे । इस दृष्टि से बरूआसागर का सांस्कृतिक अनुशीलन स्वतन्त्र शोध का विषय है। यह तथ्य विशेष महत्वपूर्ण है कि बरवासागर . के पूर्व में “घुघुवामठ' तथा पश्चिम में “जरायमठ” नामक दो चन्देलकालीन मठों का उल्लेख मिलता है| इनके पुरातत्वीय अवशेष अभी भी विद्यमान हैं । यहां ग्रेनाइट पत्थर से निर्मित दो विशाल मन्दिर थे | इनका निर्माण चन्देलकाल में हुआ था। इनमें गणेश तथा दुर्गा जी की मूर्तियां प्रतिष्ठित थी | अब वहां कोई मूर्ति नहीं है । अधिकांश ग्रामवासी आज भी मठ की प्राचीनता अथवा उसके विस्तृत विवरण से अनभिज्ञ थे । ललितपुर जिले के सीरोनखुर्द (सीयडोजी) गांव में एक महत्त्वपूर्ण अभिलेख प्राप्त हुआ है। इस लेख से पता चलता है कि प्राचीनकाल में यह स्थल बहुत बड़ा धार्मिक स्थल था। यह उत्तर भारत का बहुत बड़ा व्यापारिक केन्द्र भी था। यहां से प्राप्त श्रीगणपति की मूर्ति जो 10 वीं शदी ईस्वी की है गोलाई में उकेरी गई है। यह मूर्तिकला की दृष्टि से अत्यन्त उपयोगी है। यहां से प्राप्त चतुविंशति विष्णु मूर्तियां, राम, परशुराम, छत्रधारी वामन तथा लक्ष्मी आदि की प्रतिमायें न केवल कलात्मक और सुन्दर हैं अपितु भारत में अण्यत्र कम उपलब्ध है। सीरोनखुर्द के प्रतिमा शास्त्रीय अध्ययन पर शोध प्रबन्ध भी लिखे जा चुके हैं । उत्त्तर प्रदेश जनपद ललितपुर में सदानीरा वेत्रवती तट पर ॑ मुख्यालय से 3 किएमी0 की दूरी पर विन्ध्याचली दक्षिण पश्चिमी कोनिया की पर्वतमाला पर अवस्थित है विश्व पुरातत्व का अप्रितम कन्द्र देवगढ़ | यहां के गुप्तकालीन विष्णु मन्दिर के तीन ओर की दीवालों पर तीन फलकों में से पहले में शेषशायी विष्णु, जिनके चरण लक्ष्मी जी दबा रही खचित हैं। आकाश में इन्द्र, ब्रह्मा, शिव, पार्वती व मयूर पर कार्तिकेय हैं । यहीं पर एवम्‌ नदी के तट पर सिद्ध गुफा में श्री दुर्गाजी राजघाटी की भित्ति पर कीर्तिवर्मन का लेख और गणेश के साथ नवग्रह है। यहां के जैन मंदिरों में तीर्थंकर, पंचपरमेष्ठी आचार्य, उपाध्याय, बाहुवलि भारत, चक्रेश्वरी, अम्बिका, पद्मावती, सरस्वती आदि की अद्वितीय प्रतिमायें हैं। इसी कारण विद्वान मूर्तिकला में सर्वाधिक प्रयोग उत्तर भारत में इसी क्षेत्र में हुये बताते हैं | मध्य प्रदेश के सागर जिले की खुरई तहसील में स्थित एरण एक छोटा सा गांव हैं यह पुरातात्विक दृष्टि से तो महत्वपूर्ण है ही कला चातुर्य भी यहां अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंच गया है। एरण का नाम सिक्कों पर लिखा मिलता है, ब्राह्मी लिपि में 'एरकप्य' नाम मिलता है यह एरण का (4)




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now