भारतीय संस्कृति (भाग २ ) १९५४ | Bharatiya Sanskriti Vol-ii (1954)
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
22 MB
कुल पष्ठ :
326
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्री मनोहरलाल विद्यार्थी - Shri ManoharLal Vidhyarthi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ १९६ ]
थे अपितु वे हिन्दुस्तान की जनता के आध्यात्मिक गुरु थे । भारत के घर-
घर में उनका नाम लिया जाता हे और करोड़ों लोग घर-घर में उनकी पुजा
करते ह।. उनके ग्रन्थों में सबसे प्रसिद्ध रामचरितमानस हे जिसे “हिन्दुस्तान
की करोड़ों जनता का बाइबिल” कहा जाता हैं। हिन्दू समाज के घर-घर
में रामचरितमानस मिलता हैं और धनी-गरीब सभी वर्ग के लोग इसका पाठ
' करते हे और इसको सुनते है। उन्होंने अन्य कई पुस्तकें लिखी थीं जिनमें
से १२ इस समय अधिकारपुर्ण मानी जाती ह। तुलसीदास राम को ईदवर
का. अवतार मानते ।. उनके इस विद्वास ने उनको इतना
उच्च बना दिया. और इसी विदवास ने उनको ईदवर के विषय में
इतना सहान विचार प्रस्तुत करने के योग्य बना दिया ।. रामायण में अपने
भक्तों के प्रति ईदवर के प्रेम, अपन भक्तों के लिए उसके अवतरित होने, अपने
भक्तों की यन्त्रणा के लिए उसकी सहानभूति और क्षमा करने के लिए
उसकी तत्परता को बड़ी मर्यादा के साथ प्रकट किया गया हे। रामायण
मे आदि से अन्त तक कहीं भी कोई अपचित्र विचार या शब्द नहीं है । यह
देवी भाषा की गीता हूं। तुलसी जनता के लिए जीवित रहे और उनमें
जनता के ध्रति अगाध प्रेम था। उन्होंने जो कुछ सोचा उसे जनता को
भाषा मं प्रस्तुत किया और उनका काव्य हुृदयस्पर्शी हूं । वे सचमुच हिन्दी
साहित्य के “वाल्मीकि” थे ।
हिन्दुओं मं एक अन्य महान कवि सुरदास थे । इन्होंने अपनी कबिताएं
वृजभाषा में लिखों। ये हिन्दी जगत में गीत-काव्य लिखने वाले सम्भवत:
सबसे महान कवि हैं। इनकी जन्मतिथि अब तक अनिद्चित हूं. परन्तु ये
अकबर के समकालीन थे और आइने अकबरी में इनका वर्णन किया गया
है। इनका मुख्य ग्रन्थ सुरसागर हे जिसमें ६०,००० गीत (कविताएँ)
है। इनके अन्य ११ ग्रन्थों का भी पता लगाया गया हे। इनके विषय
भक्ति सम्बन्धी हे और वत्लभाचार्यथ द्वारा चित्रित कृष्ण के जीवन-चरित्र
पर केन्द्रित हं। इन्होंने अपने ग्रव्थों में कृष्ण की बाल्यावस्था तथा उनको
पालनेवाली उनकी धर्म की माँ यशोदा से उनके सम्बन्ध को इतने आइचय-
पूर्ण ढंग से चित्रित किया हूं कि इसका जगतव्यापी प्रभाव कभी क्षीण नहीं
होगा। इनकी मनोवज्ञानिक गहराई अद्वितीय है। इन्होंने नए-नए स्वरूप
एवं मर्तियाँ प्रचलित कीं। इन्होंने वृजभाषा को आधुनिक रूप देकर इसे
महान साहित्यिक भाषा बना दिया ।. हिन्दी काव्य-जगत में इनको “भारत
का मिल््टन'” कहा जा सकता है ।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...