रसराज महोदधि | Rasaraj Mhodadhi Volume-2
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
304
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
Lala Shyamlal Hiralal ki Likhi Huyi Kitab Aalhakhand (Aalha Udal 52 Gadh Ki Ladai) - Shyamkashi Press Mathura Me Print Huyi he Mujhe Purchase Karni He... Contact : [email protected]
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रसराज म + दूसरा भाग ्
के घर पर ठहर गए, बच की बूढ़ी माताने कल
कसे जाने का कारण एछा,ा बू ने कारण सुनाया,
सुनतही बुदिया ने कड़ा कि वाब। दो तीन दिन
में तुम्हारी स्त्री का रोग खादूंगी, बुइदी ने काली
तुलसी का रस और सँधा नमक पीसकर तौवे के
अर्प में गरम .-करके नाक भें चार पांच बूंद ढाल
दिया, दो घंटे उपरान्त फेर डाला, इसी प्र
. चारवार नाक में जापाध प्रवेश कराई, जव झौपाधे
_ का अपर हुआ कि स्त्री की माक से अति इुर्गन्थि
सय कड़ा कड़ा जमा हुमा श्लेष्मा देखते देखते
गिर पडा, र्लेष्मा गिरते ही नाक एवली दगई
दूसरे दिन खांसी मी बन्द होगे, माथे का दर्द
जाता रहा, श्लेष्मा के रब जान से नाक में जो
घाव होमये थे वें थी झाराम दोगये चार दिनमें
बंगालिन का नासिका रोग दूर होगया,
शिरपीडा को दूर करन के लिये ठलसी के सूखे
पत्तों का नाश लेंना चाहिये, ।
_ दाद खाज को खोने के लिये तुलसीक्रेपतों का
रस लगाना चाहिये, ।
बालक के पेट में कीड़े हो तो तुलसी के पत्चों
का रस गरम करके पिलाना चाहिये; ।
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at 2021-03-06 11:31:44"I Want to buy book : Aalhakhand Writter by this Writer"
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