कृष्ण वाक्य | KRAASHN VAKYA

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KRAASHN VAKYA  by

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(१७ 9 (०) यूनानी बाबिछ देश के यवन बादशाह सिल्यूकस की. बेटी, से 'वि+ वाह करने वाछे बोद्धाविछम्वी मगध देख के महाराजाधिराज : चन्द्रयुप्ठ के अधान मस्त्री थे ॥ ( प्र० ) महाराज चन्द्युप्त किन के पुत्र थे ? (० 0) मगघ देश के नागवंशी महावढी महाप्रतापी.. महाराजाधिरान' महां- नन्द थी के पुत्र थे । इन्हीं महारानाविरान महानन्द जी ' के पास छ। ढाख़ 'पि- यादे, बीस दज़ार सवार और नी हज़ार हाथी थे इन्हीं के डर. से यूनान का . बड़ा बादशाह सिंक्रन्दूर, निस ने यूरोप और पएशिया.में बढ़े २ देशों को नीत छिया था, भारतवर्ष से भाग गया था ॥ थी हवाई छोगों की जाति पांति का; भी ठिकाना नहीं छगता । बहुधा चारों ही वर्ण के होते हैं । इसीटिये शाख्रकारों ने आज्ञा -की हुई है, कि पाक. बनाने वाछे को मति दिन इंरींर-शिर और ढाढ़ी के बाठ व नख कंटदाने चाहिये तथा कपड़ों साहित स्नान करना चीहिये और भोजन की ओर मुख कर के न बोछना न खां सना न थूकना चाहिएं बरन ढाटा बांधे रहना: चाहिये । यथा- ” '* .' झधिक मेहर: फेंदा इसंशु लोम नंख-वापनसूं ॥ ३४ ॥ उद्कापस्पद्यन चस हबाससा परे द्ख्ाआपस्तम्भ सन || भर ७. चि देखने में आता है कि' चंतुर्वेदियों -के पैर पूंजनें वांछों में से एक बभाचार्य्य के कुछ में अय तक इन: नियमों की थोड़ी-बहुत .चां /वढी जाती, है॥ यु हु (प्रे० को !.हो ! कया वल्लमाचाय्य जी -तुर्वेदियों के चरण पूंनक थे ! (०) हां हां । वछलभांचाय्य नी चौदों के पग पूरक थे । इसकी पूंस २. पता ' तो सौ के आधे पचास और दो बावन' राना ओर चार सम्भदार्या के तीथपुरों- हितों के, नो कि आानकछ बढ़े चेबिजू के' नाम से विरुपोत हैं, 'मिढेगा' । ' परन्तु इतना तो मैं ने भी, निन नेत्रों से देखा है. कि. वल्लभवेशी विश्राम ,घाट पर बढ़े चेबिजू के पैर धोते हैं । और वन यात्रा जाने के समय उन्हीं से नियम छेवे हैं ॥ (प्र० ) कंयां चेवि वह्लेंमकु के: चेठे' नहीं होते ! (ज० ) नहीं, सुझे तो-पूर्ण निश्चय है कि सौंवे छोग वल्लम 'कुछियों के




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