धर्म विजय | Dharm Vijay
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
92
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)धर्म के बाहुबल से पाप के हृदय को फाउगा,
मैं झण्डा संत्य का उत्पात की छाती मे गाड दूंगा |
चसुमति - परन्तु मुझे भय प्रतीत होता है। थ
विदुर - ऐं! क्या कहा ? क्या मैं मंत्रित्व पर धर्म को बलिदान कर सकता हूं. ?
स्वर्ण के बदले ठीकरियों का सम्मान कर सफता हूं ? मान और मरतब
का चलता जादू क्या मुझको मोहित कर सकता है ? सुनहरी और रूपहली
युक्तियों का विचार क्या मेरे हृदय में फैल सकता है ? नहीं, नहीं । धन-धाम
का मोहिनी मन्त्र मुझको वेशीमूत नहीं कर सकता । वेतन और पारितोषिक
अथवा उदर पालना एक धार्मिक पुरुष को धर्म से नहीं हटा सकते । फौलादी
तलवार पत्थर के जिगर को घायल नहीं कर सकती ।
कभी डाला नहीं जाता है जाल सोत्ते शेरों पर,
असर करती नहीं है, मौत की घमकी वीरो पर!
धर्म की आंख दौलत पर कभी ललचा नहीं सकती,
कभी अमृत को तजकर विष का भोजन खा नहीं सकती |
'चसुमति -- तो क्या राजसी ठाठ और सम्मान निरर्थक हैं ?
विदुर -- हां, धर्मात्माओं को सत्य-मार्ग से यह सभी डिया देने को सहायक हैं परन्तु
धर्मात्मा इन पर लात मारता है। धर्म और नीति के लिये महलों को त्याग,
झोपडी में रहता है। मिक्षुक बन सूखे टुकडें पर गुजर करता है परन्तु चाटुकारी-
चिकनाई प्रयोग नहीं करता ! मैं कभी असलियत को न छिपाऊंगा। न होगा
यह कि किसी भय-वश न्याय के विरुद्ध जिहवा न हिलाऊंगा।
उद्योग और पुरुषार्थ से दुनिया में कया मिलता नहीं,
और मिलता है सब, पर धर्म इक मिलता नहीं |
'वसुमति -- यदि तुम्हारी नीति मंत्रित्व पर कष्ट लायेगी ?
विदुर - तो मैं उसको सहर्ष सहन कर जाऊंगा ।
घसुमति - यदि सती पर क्रूर हाथो से कुछ आंच आयेगी |
विदुर - तो, उसके सतपन की शक्ति उसे बघायेगी |
चसुमति - तो, प्राणनाथ | जाओ, धर्मवीर ! जाओ, भारत की रक्षा कर प्रजा का दुख मिटाओ !
गाना
घसुमति - पिया जाओ, सिधारो, पधारो, करो देश उद्धार,
विदुर - मिटाऊंगा, हटाऊंगा सब अत्याचार |
चसुमत्ति -. तब जाओना, प्राण आधार |........................र० 11 टेक |!
करोना रण क्षत्रिय बन जाकर निछावर प्राण चरणों पर |
त्याग दो अपना तन-मन-धन सभी भारत के चरणों पर |
सुहागन होके भी मैं खुश नहीं रह सकती |
जीते जी जो अत्याचार हो भारत के धर्म और आदर्शों पर !
बिदुर -. करूंगा देश उद्धार।
वसुमतति -. हरो पिया क्लेश अपार, पिया जाओ, सिधाओ.....
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