श्री हर्ष | Srii Harsh
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
92
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श् शी हप
गया और दूसरे दोनों पुरुपंनि राजा की नौकरी करली,
बाण कविने पुप्पर्भात का; इतना ही इतिहास दिया है ।
इस के पश्चात् इस वंश में अनेक राजा हुए परन्तु
उनका इतिहास अभी तक माप
जगत नहीं हुवा । इ. स. ६०५ में
जब प्रभाकर वधन गद्दी पर बैठा तब से फिर बाण ने
इस वंशका इतिहास दिया है | प्रमाकर बधेन को
“* प्रतापशीरू * भी कहा जाता था ) पंजाब के गान्घार
( पंशावर ) और साकरु ( स्याठकाठ ) में राज्य करने
वि हुण कोगों को उसने हराया था ! सिन्ध के राजा
तथा राजपूताना के गुजर राजा को भी उसने पराजित
किया । मालवा तथा छाट ( भरुच ) के राजाओं पर
भी उसने विजय प्राप्त की ४
उसकी पत्नी का नाम यशोवति ( यक्लोमति )
था । एक समय जब राजा तथा रानी सो रहें थे तब
-ााााययल्यल्एल्एयटणणपणणट न,
+ छूणहरिणकेसरी . सिन्पुराजज्वरा. गुर्जरपजागरों
गान्धारधिपगन्धद्धिपकूटपाककी. लाटपाटलपाटचरी. मालक
ल्क्मीठता परझु इृष चारित )
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