तीर्थयात्रा दर्शक | Tirthayatra Darshak
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
346
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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से व जाना दो सके तो दूसरी गाडीसे चठा जाना ठीक है।
र९- रेखबे स्टेशनपर ावा घंटा पहले पहुंचना
चाहिये निसद्े टिकट छेते और गादीमें बेठनेका छुभीता
होवे । ठीक टायम पर पहुंचतेसे बढ़ी धबडीइट होती है ।
जरदीमें लापान भी छूट भादा है।
९३- रेल आते सपप प्ेडफामेपर नहीं रहना चाहिए
पीछे हद जादा चाहिये घोर चढती रेकमें चढ़मा भी न
चाहिये ।
२४- जिस जित तीथे, शहर तथा िंदुओंके क्षत्रं
पर लाथो गुंडा पंडा दगावाज किप्तीकी बातोंमें से श्राना -
चादहिये।
२१-विदेशमें इुछ ध्यादा सामान मत खरीदी, नहीं
तो भ्रषिक चोकके होजानेसे की तागा व भादेदी तकलीफ
रानी होगी। यदि खरीदना हो तो बसे सीधा पास
घर भेज देवा चाहिये, साथ न रखना चाहिए ।
९६- यात्राको जाते समय पापूली गहना घोर वर
साथमें रखना चाहिये श्षिक रखनेमें लुक्लानका भय है ।
२७- यदि घ्पने पास काफी धन है सो परदेशमें
सवारी मजदूर खाने पीने शादिका लोभ नहीं करना
चाहिए परन्तु फिजूठखर्षी भी ठीक नहीं ।
२८- एकवार अच्छी तरद दाल रोटी रुचिपूर्वक
भीम लेना चाहिये । वार बार खानेकी कोई श्रावश्यकता
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