तीर्थयात्रा दर्शक | Tirthayatra Darshak

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Tirthayatra Darshak by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( हरे ) से व जाना दो सके तो दूसरी गाडीसे चठा जाना ठीक है। र९- रेखबे स्टेशनपर ावा घंटा पहले पहुंचना चाहिये निसद्े टिकट छेते और गादीमें बेठनेका छुभीता होवे । ठीक टायम पर पहुंचतेसे बढ़ी धबडीइट होती है । जरदीमें लापान भी छूट भादा है। ९३- रेल आते सपप प्ेडफामेपर नहीं रहना चाहिए पीछे हद जादा चाहिये घोर चढती रेकमें चढ़मा भी न चाहिये । २४- जिस जित तीथे, शहर तथा िंदुओंके क्षत्रं पर लाथो गुंडा पंडा दगावाज किप्तीकी बातोंमें से श्राना - चादहिये। २१-विदेशमें इुछ ध्यादा सामान मत खरीदी, नहीं तो भ्रषिक चोकके होजानेसे की तागा व भादेदी तकलीफ रानी होगी। यदि खरीदना हो तो बसे सीधा पास घर भेज देवा चाहिये, साथ न रखना चाहिए । ९६- यात्राको जाते समय पापूली गहना घोर वर साथमें रखना चाहिये श्षिक रखनेमें लुक्लानका भय है । २७- यदि घ्पने पास काफी धन है सो परदेशमें सवारी मजदूर खाने पीने शादिका लोभ नहीं करना चाहिए परन्तु फिजूठखर्षी भी ठीक नहीं । २८- एकवार अच्छी तरद दाल रोटी रुचिपूर्वक भीम लेना चाहिये । वार बार खानेकी कोई श्रावश्यकता




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