अलग अलग रास्ते | Alag Alag Raste

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Alag-alag Raste by उपेन्द्रनाथ अशक

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अलग-अलग रास्ते के ओर सार्क्स और गांधी के चित्र नयी चेतना के प्रतीक है। साथ हीये चित्र आज के संक्रास्ति-कालीन परिवारों के विचार-वैविध्य को भी प्रकट करते है । अलग-अलग रास्ते दुखास्तकी ही कहा जा सकता है किन्तु यह निराशाबादी नहीं हैं इसलिए पूरो तरह यह दुखास्तकी नहीं है। बल्कि कहू सकते हे कि दुखान्तकी का यह आधुनिकतम रूप है। पूरन और रानी आशावादी हे और राज सिराशावादी किन्तु दोनों के अन्तर्मन में एक जेसी विकल बेदना है । इस नाटक से हास्य की उतनी तरलता नहीं हैं जितनी अइक के दूसरे नाटकों से सिलती है । इससे कहीं-कहीं पर नाटकीय परिस्थिति से हास्य जागता है वह भी व्यंग्य सिश्चित या व्यंग्य के कारण । नाटक का दूसरा अंक तीखे व्यंग्य का सुन्दर नमूना है । पूरन के सम्वादों से व्यंग्य है और उस व्यंग्य में पूर-के-पूरे सड़े-गले समाज पर घन की सी चोट हे । लगता हैं कि अश्क के नाटकों की थीस ज्यादातर विवाह और प्रेम की समस्या पर आधारित है और इस नाटक में भी उसकी आवृत्ति को गयी हू । किन्तु ऐसे सभी नाटकों में अदइक का दृष्टिकोण विकसित होता गया हू जिसका उद्देश्य एक समस्या के माध्यम से ससाज के सभी अंगों पर प्रकादा डालना है । अपने इस नाटक से अदक ने समस्या को एक निश्चित समाधान की दिशा बता कर अपने उस प्रगतिशील दृष्टिकोण का परिचय दिया है जो आज इतिहास का रहनुमा है । प्रस्तुत लेख अश्क के नाटक-साहित्य पर लिखे गये वृहद ग्रत्य नाटककार अदक से संकलित है । | रद |




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