प्रयाग और उसका परिप्रदेश सांस्कृतिक भूगोल में एक प्रतिकात्मक अध्ययन | Prayag Aur Usaka Paripradesh Sanskritik Bhugol Men Ek Pratikatmak Adhyayan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
26 MB
कुल पष्ठ :
303
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about रमेश चन्द्र ओझा - Ramesh Chandra Ojha
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)6
हृदयस्थल, सिन्धु घाटी मे सैन्धव हृदयस्थल, नील घाटी मे नील हृदयस्थल तथा नई दुनिया
मे मध्य अमेरिका (दक्षिणी मैक्सिको, युकाटन और ग्वाटेमाला) हृदयस्थल एव एण्डियन
हृदयस्थल स्थित है (50606, बे 8. घात 10065 १४ 1. 1978, श्र 167, 174) |
सिन्धु घाटी सम्यता विश्व की प्राचीनतम् सभ्यताओ मे से एक है। सिन्धु सस्कृति के
कोड मे कला, गृह निर्माण कुशलता, तकनीक और नगरो तथा गावो की नियोजित सरचना
प्राचीन समय मे विकसित अवस्था मे थी। सिन्ध्र घाटी सस्कृति का प्रभाव पूर्व और दक्षिण
के क्षेत्रो मे अत्यधिक था। कालान्तर मे इसका स्थान वैदिक सस्कृति ने ले लिया और
सम्पूर्ण गगा घाटी क्षेत्र मे इस सभ्यता का प्रसार होने लगा। इसी कम मे गगा घाटी मे आर्य
सस्कृति एव सभ्यता का विकास हुआ जिसके कोड मे आर्य सस्कृति का केन्द्र प्रयाग नगर
बसा हुआ है। वैदिक युग मे प्रजापति ब्रहनाजी ने गगा-यमुना एव सरस्वती के त्रिवेणी
स्थल पर प्रथम यज्ञ किया। सिन्धु सभ्यता के पराभव के साथ गगा घाटी मे स्थानान्तरित
समाज द्वारा रामायण और महाभारत कालीन सभ्यताओ का विकास किया गया। भारतीय
सस्कृति के आदि ग्रन्थों रामायण, महाभारत तथा पुराणों मे प्रयाग के महत्व का विशेष वर्णन
किया गया है। आर्यसस्कृति का काल निर्धारण करने के लिए अनेक विद्धानो बाल
गगाधर तिलक, हामैन, जैकब, मैक्समूलर, मैक्डानेल, विल्सन, बेबर आदि ने प्रयत्न किया है,
परन्तु मतो मे एक्यता नहीं पायी जाती है। इन लोगो ने आर्य सस्कृति का काल पच्चीस
हजार, आठ हजार, छ हजार और अन्तत तीन हजार वर्ष पूर्व तक माना है (सिन्हा, हरेन्द्र
प्रताप 1953 पृ0 159) |
सिन्धु सभ्यता अनुसन्धान समिति के परिचालक सर जान मार्शल ने सिन्धु सस्कृति को
6 हजार वर्ष पूर्व की सस्कृति बताया है। इस प्रकार इस सभ्यता के प्रभाव क्षेत्र मे स्थित
भारत की प्राचीन सप्तपुरियो-अयोध्या, मथुरा, गया, काची, काशी, अवन्तिका, पुरी और
द्वारावती का विकास हुआ होगा। इन सप्तपुरियो मे शिरोमणि तीर्थराज प्रयाग का इतिहास
बहुत प्राचीन है। इसके अतिरिक्त स्नान के समय किये जाने वाले *सकल्प' और भारत की
कोटि-कोटि नर-नारियो की आस्था, श्रद्धा, भक्ति, और मान्यताओ से सिद्ध है कि प्रयाग
की सभ्यता और सस्कृति बहुत प्राचीन है। साहित्य का आदि स्रोत बाल्मीकि रामायण इसी
प्रदेश के गगा और टोस के सगम पर करूण श्लोक के रूप मे उद्गारित हुआ था। अन्त
मे कहा जा सकता है कि प्रयाग आदि काल से ही सम्पूर्ण भारत के धार्मिक एव सास्कृतिक
User Reviews
No Reviews | Add Yours...