अपना राज्य | Apna Rajya

Apna Rajya by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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क्रान्ति ओर सुधार १३ वाला है । उसमे से झाधा तो बढती हुई जन-सख्या के कारण साफ ही हो जायगा । अर्थात्‌ बारह प्रतिशत ही उत्पादन बढेगा। इसमें से गरीबों के पत्ले कितना पड़ेगा, कौन जाने ! इस वारे मे, जैसा कि श्रीमन्नारायणजी कहते है, इन नौ-दस वर्पों में धनी श्रौर गरीव के जीवन-मान मे श्रन्तर कम न होते हुए उल्टा वढता ही जा रहा है । इसलिए गरीवो की गरीवी मिटे बिना वे इन सुधारों का वहुत-कुछ लाभ न उठा सकेंगे। इन छोटे-मोटे सुधारों से एक दु ख मिटेगा, तो दूसरा पैदा हो जायगा । झ्रत दु ख-निवारण का काम क्राति का काम नहीं है । झ्रगर हम इस काम में पड़े , तो खुद मिट जायेंगे, पर दुख न मिटेंगे । इसलिए हमे ढुखो की जड़ ही काटनी चाहिए । वर्तमान दु खों की जड़ सदोप झ्राथिक रचना है । इसीलिए हम खेती श्रौर धन बाँठेगे आर नवीन थ्रर्थ-रचना खडी करेंगे । इतनेभर से ही गरीव किसानों का उत्पादन एकदम दुणुना हो जायगा । भुमि-मजदूरो का उत्पादन तो इससे भी शझ्रघिक बढ़ेगा । खेती मिल जाने के कारण उनके काम का हौसला ही वढ जायगा श्रौर इसीलिए पाँच वर्पों मे देश का उत्पादन डेढ-दो गुना हो जायगा । ग्रामदानी गाँवों का उत्पादन एक वर्ष मे दो-तीन युना हो गया, यह तो हम देख ही चुके हैं। उनका उत्पादन वढा कि फ़िर वे स्कूल, दवाखाने, तकावी श्रादि सुवारो से भी लाभ उठा सकेंगे । गाँव स्वय ही स्कूल भ्रौर अस्पताल चला सकेंगे । जो स्थिति पंचवर्पीय योजना की है, वही सेवा के श्रन्य कामों की भी है । ये सारे काम जी-तोड मेहनत से श्रनेक सेवक कर रहे




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