सत्याग्रह और असहयोग | Satyagrah Aur Asahayog
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
270
श्रेणी :
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No Information available about प॰ चतुरसेन शास्त्री - P. Chatursen Shastri
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सत्याधहके प्रकार । प्र
से न ये का न अल जा: दर न ६. कि
दूसरा अध्याय ।
सत्याय्रहके प्रकार 1 .
सत्या्रहके सुख्य प्रकार चार हो सकते हैं । १-व्यक्ति-गत सत्याझ्रह, २-सामा-
एजिक सत्याग्रह, ३-राष्ट्रीय सत्याप्रह, सौर ४-वार्सिक सत्याग्रह ।
व्यक्ति-गत सत्याय्रह--योग्यताके अनुकूल विवचार-स्वातन्न्य और निर्सी-
-कता तथा आत्म-विश्वासके कारण कोई व्यक्ति ससारके सासने किसी भी एक
सिद्धान्त था अनेक सिद्धान्तों पर अपनी अलग सम्मति सप्रमाण पेण करे और
जनता भविश्वास-परम्पराके प्रवाहमे पड़ कर न उसकी युक्ति सुने, न उसके सिद्धान्त
माने, उलेटे उसे भी उन सिद्धान्तोंके माननेसे रोके या अपने अन्घ-दिश्वास या
परम्पराके प्रवाहके साथ ही घर-घसीटना चाहे तो उस अकेले व्यक्तिका सबके साध
युद्ध होगा और वह * व्यक्तिगत सत्यात्रह * कहलायेगा 1
थे सिद्धान्त ऐसे होने चाहिये जो अपनी भिनताका प्रसाव समाजकी सरठन-
'स्रणाली और उसके बाहा व्यवद्वार-परम्परा पर कुछ न डाल सकें । ये सिद्धान्त या
तो आध्यात्मिक होने चाहिये या सौतिक, अथवा वैज्ञानिक, पर आध्यात्मिक,
भौतिक, वैज्ञानिक उसी दृद तक हो जब तक कि वे अप्रत्यक्ष सिद्धान्त मात्र हो और
समाज उनके सम्बन्धमे किसी न किसी तरदका ऐसा विश्वास रखता दो जो प्राय
सुनने और मानने मात्रका हो और ्त्यक्ष सामाजिक जीवनमें उसका कभी व्यव-
'हारिक उपयोग न ह्ता हो ।
सामाजिक सत्याय्रह--यदद सत्यायद प्राय. कुरीतियोंके विपरीत प्रयोगमें
खाया जाता है । ससारको बने और समाजको सगठित हुए इतने दिन हो गये, पर
उआआज तफ समाजकी झ्ंखलामें निर्दोषिता नहीं आई । सब प्रकारकी झस्तियोका
सदासे विंपम वितरण होता रहा है ओर इसी लिये उसका दुस्पयोग द्ोता रहा
'है--जिसने असख्य कुरीत्तियोंकी जन्म दिया है, सारा संसार कुरीतियासे छलनी
हुआ पड़ा है, समस्त समाज छुरीतिकी दुमेन्थसे सड़ रहा दे । देगके महान.
पुरपेनि समय समय पर इन कुरीतियोंके विरोधमे सत्या्रद किया ट सौर भी
कभी तो उसे चरम सीमा तक पहुँचा दिया है ।
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