अलवर राज्य का इतिहास | Alwar Rajya Ka Itihas
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.94 MB
कुल पष्ठ :
166
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अलवर राज्य की भौगोलिक एवं ऐतिहासिक पृष्ठप्ूमि | 9 यहाँ पर प्रतिवर्ष लगने वाले मेतों में विलाली माता का राजगढ मैं रय यात्रा शीतेलादेवी का मरतहूरि का साहिबजी का मेला अश्विनी देवों का मेला चैंध्देवी का मेला और नारायणी का मेला एवं लालदास का मेला इत्यादि प्रमुख थे । इनमें दिलाली एव चूहढ सिन्ध के मेले बढ़ी धूमघाम से आयोजित किये जाते थे । जिनमे दूर-दूर से सभी जाति एव धर्मों के लोग सम्मिलित होते ये । स मलवर क्षेत्र का प्रारम्भिफ इतिहास-- पुसतत्ववेता किंग के भतानुसार इस प्रदेश के प्राचीन नाम मत्स्य देश था । महाभारत युद्ध से कुछ समय धूवें यहाँ राजा विराट के पिता वेणु ने भत्स्यपुरी नामक नगर बसों कर उसे अंपनी राजघानी बनाया था । कालासवंर मे इसी कौ साचेढ़ी कहने सगे । और बाद में घही राजगढ़ परगने में माचेड़ी के नाम॑ से जानो जाने लगा । उस समय योधेंपं मंजू नायन वच्छल आदि अनेक जातियाँ इसी भू-भाग में निवास करती थीं । राजा विराट ने सपने पिता की मृत्यु हो जोने के बादे मत्तयपुरी से 35 मोल पश्चिंम में बैराठ नामक नगर वसा कर इस प्रदेश को राजधानी मनाया 12 इसी विराट नगरी से लगभग 30 मोल पूर्व की और स्थित पर्वत मालाओं मै मध्य में पाष्डेवों ने अज्ञातवांस के समय निवास किया था । बाद में यह स्थात असवर प्रान्त में पाण्डव पौल मे नॉम से जानां जाने लंगा । उन्हीं दिनो राजा विंराट के समोपवर्तों राजाओं मे प्रसिद्ध राज्य सुशमौजीत था जिसकी राजधानी शोद्धविष्टुह नगर थी जो अब तिजारा परंगने मैं सरहटा नाम एक छोटा गाँव है। ली सुशपंण के वंशजो का यहाँ बहुत समय तक अधिवार रहा 1 यादव बंशीय्य तेजपाल ने सुशर्मा के वशघरों के यहाँ गाकर शरण ली और कुछ॑ समय बाद उसने तिजारा बसाया । राजा विराट के समय कौचक को प्रदेश पर शांसन था 1 जिनकी राजघानी मायकपुर नगर थी जो अब बान्तूर ली सुर भान्त में मामोड़ नामक एक उजड़ा ड््मा डा पढ़ा है । तोसरो शताद्दी के असपास इधर गुजर प्रतिद्वार वशीय क्षत्रियों का लंधिकार राजस्थान राज्य अभिलेखागार बीकानेर क्रमॉक 181 बस्तों २6 इण्डल 2 पृष्ठ ्ह हे दी रा० सं० अभि& बीकानेर कर्मोक 151 बस्ता 26 बण्डल 3 फू 21 . तसाई बढ़ूमर के प्राचीन शिलालेख में श्रोद्ध विप्ट शब्द मिलता हैं संभद सरहूटा इसी गाँवे बी बपेघ्रशे हो। लक्ष्मणगढ़ हे के प्रात्तीय गर्ेटियर में उल्लिखित ही कमल था शाला 4. स० रान अभिष्दीपतिर फमोंक 181 अस्ता 26 दर ही सता 26 वष्डल 2 पू० 2 | 3
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