धर्म - नीति | Dharm Niti

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Dharm Niti by मोहनदास करमचंद गांधी - Mohandas Karamchand Gandhi ( Mahatma Gandhi )

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्२ धघ्म-नीति का । जो लोग कुछ पंधों -संप्रदायोंमें पाखंडका बोलबाला रखकर धर्ममात्रको नफरतकी निगाहसे देखते हे, ऐसे लोगोंकी शंकाओंका समाधान करना इस मंडलका उद्देद्य है । इस मंडलको चलानेवाले सब धर्मोका सार निकालकर उसमेसे केवल नीतिके विषयोंकी चर्चा करते हें । इस मतको वे नीति-धर्म अथवा 'एथिकल रिलिजन' कहते हे । इस मंडलका काम किसी भी धर्मका खंडन करना नहीं है । चाहे जिस धर्मके माननेवाले उसमें दाखिल हो सकते हें। इस मंडलका लाभ यह होता है कि इस तरहके लोग अपने धर्मका अधिक दढ़तासे पालन करने लगते हैं और उसमें नीतिके विषयमें जो उप- देश दिये गए हों, उनपर अधिक ध्यान देते है । इस मंडलके सदस्य पक्के मनसे मानते हैं कि मनुष्यको नीतिका पालन करना ही चाहिए और यह न हुआ तो दुनियाका विधान, व्यवस्था टूट जायगी और अंतमें भारी हानि होगी । मि० सालटर नामक अमरीकाके एक विद्वान हैं । उन्होंने एक सुदर पुस्तक प्रकाशित की है । उसमें धमकी चर्चा नामको भी नही, पर उसके उपदेश सभी आदमियोंपर घटित हो सकते हें । इस पुस्तकके लेखकके विषयमें इतना ही कहना आवश्यक है कि जितना करनेकी सलाह वह हमें देता है, उतना खुद भी करता हैं । पाठकोंसे मेरा अनुरोध हैं कि जो कोई भी नीति-वचन उनको सच्चे जान पढ़ें, उनके अनुसार वे चलनेका यत्न करें तो में अपने इस प्रयासको सफल मान्‌गा । --मो० क० गांधी




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