अवध की वेगम | Avadh Ki Bagem

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Avadh Ki Bagem by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अवध को बेगम । श्७ जिस कारणस रुरेलॉमिं फूट पेदा इुई और शिस पापसे उनका राज्य न स्तरप्ट इधा उमका चाल संचेप्में यद्दां नहीं लिखमेसे इस उपन्यासमें .लिखो इई कई प्रधान प्रधान बातें अष्छो तरइ पाठकॉको समकमें नद्दीं आदेंगीं। इसलिये इस परिच्चदमें वह्ो सब इतिडाससे सम्यन्ध रखमेदालो धातें लिखी नाती है । सनू १६५३ में शाइेपालस अर इसेनपां नामक दो भाई कुताशार ( वर्तमान सद्देनखणड़ ) में रहा करते थे। ये दोनों चफगानी थे। कभो कभी ये लोग देइलीक दादशाइको मातझती में निपदगरों भी किया करने थे। इनमेंसे बडे भाई शाप नम के दो नछ़कष थे । दढ़ेका नाम दाऊदखां प्रो छंटका इफिल ब्ह- मतों था। दाऊदगोने कुमासूं रान्यको सनकी अफमसरी पाकर कई दार पपनि सालिकको दडो को । पर झा लिक्म उसके परिश्रम चोर स्टामिइिहीपताका पूरा पुरा भऋा- दर नहीं किया । इम दातसे निशुत्साइित कर दाऊदयंनु भोकरौमे इस्तीफा देनेका दिचार किया । इस्त।फेको वात सुन- कर मालिकनि एमके दोनों दाथ पाव कटवा डाले । इस दाऊददाकौ सन्यु चुद्दे । उमका चोटा लड़का पल भी पिलाकों सर लटका भर वहादुर धा । उसने पका इशटप कर लिया कि एक न एक दिन अपन का विमाश पवर्य चना चाहिये । दिलाई मरने बाद मुरादादादके पोज- दर मासइनामें सिपइगरी पारस्य सब अल प्रेम नकारना ड्




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