इटली का शहीद महात्मा सावोनारोला | Itali Ka Shahid [ Mahatma Savonarola ]

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Itali Ka Shahid [ Mahatma Savonarola ] by बेनीमाधव अग्रवाल - Benimadhav Agarwal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(९) ,* 7 पोष फा राज्य-इईसाई-संसार फे प्रधान घम्मे-रुसू पोप कहलाते थे । पोष सन्त पीटर के उत्तराधिकारी माने जाते थे । ईसाई लोगीं का यह विश्वास था कि इसा मसीह ने अपने एक प्रमुख, शिष्य सन्त पीटर को स्वर्ग के राज्य की कुर्जियाँ देदी थी । इसलिये पोप इंसा के प्रतिनिधि समझे जाते थे। प्रसिद्ध रोमन सम्रादू फोन्स्न्टाइन ने जब ईसाई-धर्म स्वी कार किया, उसी समय से रोम नगर पोपों का केन्द्र बन गया | रोम एक प्रकार से इसाई-संसार की राजधानी साना जाने लगा 1 पोप की एक धम्मे-सभा दोतो थी जिसके सदस्य कार्डिनल कहलाते थे । ये फा्िनल ही पोप का निर्वाचन करते थे ! ईसाई-धर्म के अचार में पोपों ने बहुत कार्य किया श्र धर्म के प्रसार के साथ २ उनकी भी जतिप्ठा बढ़ती गई । यशरवी जर्मन सम्रादू शालमन ने पोप के इलाके की यृद्धि की । घोरे २ उनके अधिकार भी घढ़ते गये । वे इंसाई-संग्रदाय की सभी भूमि “व संपत्ति के स्वामी माने जाने लगे। वे झपने को 'राजाझों के 'अधिक्रार से स्वतंत्र समकने लगे । उनको दावा था कि्चर्च (ईैसाई-धर्मे-रंस्था) दी संसार की सर्वोध संस्था है,क्योंकि उसकी शक्ति का उद्गम इंश्वर है; पोप इंश्वर के प्रतिनिधि हैं, _ “इसलिये वे सांसारिकःसत्ताघारी राजा-महाराजाछों, से ऊपर हैं श्ौर उन्हें गद्दी से भो उतार सकते हैं । पोषीं की सत्ता के कारण पमध्य इटली में उनका. राज्य स्थापित 'हो गया जिसे बहुंधा श्वचे-राज्य भी कटा जाता है! जमेन-सप्नाटों तथां- समन 'पोपों 'में २८० बे तक्र जो युद्ध 'वह्नता रहा, उसकी चर्चा 'इम' नहीं” प्करेंगे। किस प्रकार दो-दो तीनः्तीन -पोपे “हो गये और ' इससे,




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