आयाम | Aayam
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
266
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दष्टि से, भ्तुमावां का रसामर एवं प्रतीकामक सहव एवं साथ स्पप्ट हो
जाता है ।
साधारणीकरण भ्रीर प्रतीक
अभिनव गुप्त का साधारणीकरण सिद्धात भिव्यक्तिवाद का एवं ममुख
अग है। श्रोशे का श्रभिव्यजनावाद और श्रमितव गुप्त का अभिव्यक्तिप'दवई तवां
में समानता प्रदर्शित बरता है । साघारणीकरण कवि की अनुभूति वा होती है भर
जब यह श्रदुभति मापा वे भावमय प्रयोग के ढारा भपना विस्तार करती हैँ तब
साधारणीकरण थी प्रिया का रूप स्पप्ट होता है।
कवि भ्पनी सावासियत्ति मे प्रतीको का सहारा लेता है, पह ऐपद्रिंव
झनुमवो पर ही विम्दग्रहण वरता है श्रौर फिर दिम्वो के सहारे प्रठीज-यूजन के
महतु काय को सम्पन्न बरता है । कला भौर साहित्य प्रत्यक्षानुमव (एड ०ण
को बिम्ब रूप में प्रहण वर, उसे अनुभूति मे परिवतित करता है, तभी वह प्रतीक
थी श्रेणी मे श्राता है । श्रत प्रतीव के स्वरूप में प्रत्यक्षानुमव भौर श्रनुशुति दोनों
का सर्मा'वर्त रूप प्राप्त होता है ।* काव्य के विचार तथा माव मूलत अनुभूतपरक
होते हूं । जद भी कवि इस झनुभूति को वाह्य रूप दना चाहेगा, तब वह मापा पे
प्रतीको के हारा उस विशिष्ट अनुभूति का साधारणीकरण करगा । यह एव सत्य है
कि हमारी झ्रनेव एसी भनुभूतियाँ होती हैं जो भपनी पूाभिव्यक्ति केवन प्रतीक के
द्वारा ही कर सकती हैं। श्रत हा० नगद्ध का यह मत है प्रतोकात्मर्व हप्टि से
भ्रनुशीलन योग्य है-- कवि झपने समूद्ध सावों शोर भनुभूतियों (मेरा स्वय का जाड़ा
शद है) के बल पर भपने प्रतीको को सहज ऐसी शक्ति प्रदान कर सकता है कि
वे दूसरों वे हुय में भी समान भाव जगा सकें ।**
अनुभूति वे क्षेत्र सूल रुप से सदेदनात्मक द्वोता है । प्रतीव उसी सीमा
तक सवे”नयुक्त दोगे जिस सीमा तक उसमें अनुभूति वी श्रा वति होगी । सबंदना
अनुभूति तथा विस्व गहण जो मन की विविध क्रियायें हैं- इस सब की क्रिया-
प्रतिषियां प्रतीक के सूक्ष्म मानसिक तया बौद्धिर घरातल की परिचायिवा हैं ।
इस क्रिया के द्वारा प्रतीद भ्ररूप की रूपात्मक श्मिव्यजना प्रस्तुत करता है । मेरे
विचार से यही भ्रमि यक्तिवाद है । यह विवेचन क्रोशे के इस क्यन से मी समानता
रखता है वि श्रनुभूति ही प्रमिव्यक्ति है ।* दर
मट्टनायव ने साधारणीकरण को भावकत्व की शक्ति माना है जिसके द्वारा
माव का भाप से भाप साधाररीकरण हो जाता है । परन्तु भमिनव गुप्त ने “यजना
शक्ति मे साधारणीकरण का समाध्य माना है । जहाँ सक प्रतीक वे' भ्रथ षय प्रश्न
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