चक्रव्यूह | Chakravyuh

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Book Image : चक्रव्यूह  - Chakravyuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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असह वचन सुन ह्रुपदसुत्ता के मुखमण्डल हो गया विवर्ण धनुष-वाण धर भग्न हृदय से अपमानित हो. लौटा कर्ण जरासध शिशुपाल शल्य नृप सिर्बल जन-से विवश निराश अपने-अपने राजमहल को लौटे. सारे. शूर. हताशा हलचल राज्यसभा मण्डप में लखा केहरि-सा ब्रह्मकुमार एक वाण से लक्ष्य भेदकर किया द्रोपदी पर अधिकार कृष्णा ने बढ़े मसयोयोग से स्वर्णिम पहिनाई घरमाल गौरवान्वित था शौर्य गर्व से पाण्डुपुत्र का उन्नत भाल द्ुपदसुता वर विजय वरण से शंत्रिय कुल से फैला रोष ब्रह्म कुमारों को डसने को बढ़ता अपयश का आक्रोश चक्रच्यूह + ५ रह के. कुकर ५ 3 झट




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