शीघ्रबोध भाग 17, 18, 19, 20, 21, 22 | Shighrabodh Bhag 17,18,19,20,21,22

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Shighrabodh Bhag 17,18,19,20,21,22 by ज्ञानसुन्दर जी -Gyansundar ji

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कहे शघ गृहस्थोंकि घर जाके वेठना निषेध १७ दाय्या संस्तारक यिधि १८ मकानकि आज्ञा लेनेकी विधि १९ लाने आनेका क्षेत्र परिमाण ( ४ ) चोथा उद्देशा. २१ मूल ० अणुठप्पा पारंचीया प्रायाश्ित्त रेर दीक्षाके अयोग्य योग २३ सूर्रोंकि घाचना देना या न देना २४ द्िक्षा देने योग्य तथा अयोग्य २८. अद्यामादि ग्रहन पिधि २६ अन्य गच्छमें ज्ञाना न ज्ञाना र७ मुनि कालधर्म प्राप्त दोनेके वाद २८ कपाय-प्रायाधिस लेना २९ नदी उतरणेकि चिषधि ३० मफ्ानमें ठेरमे योग्य (५) पांचवां उदेशा, ३१ देव देखीका रुपसे ग्रहन करे. ३९ सूर्योदय तथा अस्त दोते आदार प्रदन ३४ साध्यीयॉफों न करने योग्य कार्य ३४ अद्यानादि आदार थिधि (५) उददेरो छठी, * ३५ नहीं थोलने लायक छे प्रकारफी माषा ३६ साधुर्वोफे छे प्रकार के पस्तारा ३७ पा्वोमि कांटादि भांगे तो अस्योन्य काठ सके १८ छे प्रकारका पलीमथु रे है. श्द दे है: हक ३५ दध हेड ० धर श्र थे श्श शेप ० ष् पद हे




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