अभियुक्त | Abhiyukt
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
247
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about ए॰ से॰ वाइज़बर्ग - A. Se. Vaijabarg
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)2:
विचारक भी जेलों में बंद कर दिये गये थे। 7; पर खुफ़िया पुलिस
को वक्कदृष्टि से बच गये उन्होंने विल्कुल ही लिखना-पढ़ना वंद कर दिया;
क्योंकि उनको यह भय रहता था कि न जानें किस पंक्ति या शब्द के कारण
उनको सीखचों के पीछे डाल दिया जाय । उनमें से कुछ लोगों ने भ्रपनी
जान बचाने के लिये श्रतीत की शरण ले ली--साम्प्रतिक घटनाशों झऔर
समस्याश्रों पर लिखना बंद करके उन्होंने ऐसे विषयों पर ही लिखना
श्रेबस्कर समभा जिनपर उनके श्र सरकार के दृष्टिकोण में कोई
झन्तर पड़ने की झादयंका न थी । जिनको अपने हलवे मंडे की फ़िक्र थी,
उन्होंने सरकार की नई नीति के समर्थन में उद्गार व्यक्त किये श्र
अपने श्रापको कृत्कार्य पाया । ये लोग शासकों के कहने पर दूसरों की
निंदा ही न करते थे, वरनू स्वयं अपनी निंदा करने से भी न
चूकते थे। ऊपर से इशारा पाने की देर थी। उदाहरण के लिये
उन्होंने एक दिन एक बात कह्टी तो दूसरे दिन दूसरी बात कही श्लौर स्वयं
श्रूपनी ही लेंखनी अथवा वाणी से श्रपना खण्डन करने में किसी प्रकार
की लज्जा का झ्नुभव न किया । इन सब बातों का परिणाम यह हुमा
कि साहित्य श्ौर विज्ञान में कोई सापदण्ड ही' न रद्द गया; स्तर दिन
प्रतिदिन नीचे ही यिरता गया । श्रब किसी को श्रपनी कल्पना या
प्रतिभा के प्रयोग की श्रावस्यकता न थी; दासकों की स्तुति करते रहना
ही उनका दैनिक कर्तव्य बन गया था। जन साघारण के पास .इस
मनोवृत्ति को स्वीकार करने का केवल एक ही साधन था: उसने पत्रों,
पुस्तकों झौर पुस्तिकाशों को पढ़ना ही छोड़ दिया ।
खुफ्या पुलिस की ज्यादतियों के कारण वैज्ञानिक कार्य को बड़ी
क्षति हुई । देश में जहां मी कोई बड़ा काम होने वाला था उसी पर
झातंक के वातावरण का झसर देखने को मिलता था; कोई भी
व्यक्ति रचनात्मक कार्य करने का साहस न रखता दिखाई देता था ।
देश के पुन: निर्माण कार्य के लिये सरकार ने श्रम और घन के रूप में
किसी प्रकार की सी कमी न की थी' और श्रनेक प्रयोगशालायें श्र
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