ज्वालामुखी | Jvaalaamukhii

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Jvaalaamukhii by जगपति चतुर्वेदी - Jagpati Chaturvedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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लावा की करामात ३ तुलना का भारी भंडार दक्षिण में जितने विस्तृत क्षेत्र में फैला, उसका क्षेत्रफल २ लाख बवगे मील तक होगा । इसमें बसाल्ट की तहें एक के ऊपर एक भिन्न-भिन्न समयों .में जमीं, जिससे उसकी कई तहें बनी दिखाई पड़ी । इन तहों की सम्पण मुटाई ६००० फीट एक पाई जा सकती है । इतने बड़े क्षेत्र में इतनी मोटाई तक को तहों बसाल्ट, का कुत्त फैलाब ४ लाख घन मील होगा । अमेरिका के संयुक्त राष्ट्र में उत्तर पश्चिम के प्रान्तों वाशिंग- टन, ओरेगन, इडाहो आर कुछ अन्य राज्यों .के भाग में कोलंबिया नदी की घाटी में ढाई लाख वर्ग मील भूमि बसाल्ट से बिछी हुई है जिसकी गहराई ३००० फीट तक होगी । यह बसाल्ट उस पदार्थ का ही एक रूप है जिसे हम धरती पर ज्वालामुखियों के मुख से पिघले हुए पत्थर के रूप में निकलता देखते हैं। यह पिघला या द्रव पाषाण साधारणतया लावा नाम से विख्यात है । वास्तव में धरती के गे में किन्हीं रूपों में जो पदार्थ दबे पड़े हैं, वे ही जब घरती के ऊपरी तल पर झा पहुँचते हैंतो उन्हें लावा ( द्रव पाषाण ) नाम दिया जाता है। इन्हों वस्तुओं को घरती के भीतरी भाग में दबे पड़े रहने पर मगमा नाम शिया जाता है. । इस तरह हम देख सकते हैं कि एक ही वस्तु स्थान ओर अपना वातावरण बदलने पर धरती के गे में मगमा ओर ऊपरी तल पर लावा नाम प्रसिद्ध करती है । जिस भश्रकार दक्षिण भारत के उत्तर पश्चिमी भाग तथा अमे- रिका के संयुक्त राज्य की कोलंबिया नदी की घाटी में लावा की भारी तहेँ धरातल पर जमने की बात हमने ऊपर कही है, उस प्रकार इन ,तहों के दहकते रूप में धरातल पर रा जमने के काल में ही ( आज से ६ करोड़ वर्ष पूर्व ) आयरलैण्ड से उत्तरापथ की ओर २००० मील की दूरी तक 'ध्रव प्रदेश तक लावा या धरती




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