हिन्दीभाषा का इतिहास | Hindi Bhasha Ka Itihas
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15.17 MB
कुल पष्ठ :
374
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)असाधारण हैं किंतु इस में देवनागरी लिपि श्और अंकों का इतिहास है, हिंदी
- भाषा से इसका संबंध नहीं है । कामंताप्रसाद गुरु का हिंदी व्याकरण ( सं०
१९७७ ) . साहित्यिक खड़ीबोली के वर्शनात्मक व्याकरण की इृष्टि से. अत्यंत .
. सराहनीय है किंत इस में व्याकरण के रूपों का इतिहास संकेत रूप में कंहीं
कहीं नाम मात्र को ही दियां गया है । इस व्याकरण का यह उददश्य भी नहीं
है ।* लेखक. का जजमाषा व्याकरण (. १९०९ ई०) हिंदी में साहित्यिक
. न्रजमाषा का प्रथम विस्तृत विवेचन है. किंत इस का उद्देश्य भी ऐतिहासिक
.तथां तलनार्मक सामग्री देना नहीं है ।
दुनीचंदं का लिखां हुआ पंजाबी और हिंदी का, भाषा विज्ञान ( १९२५.
_ई० ) शीषक प्रेथ तुलनात्मक क्ेत्र में प्रवेश कराता है किंत॑ मौलिक होते हुए
: भी यह कृति बहुत पूण नहीं है ।..१९ २४. में श्यामसुंदर दास ने भाषा विज्ञान
नामक. अंध लिखा था जिस के: हिंदी भाषा का विकास शीर्षक अंतिम अध्याय
: «में पहले-पहल आधुनिक सामग्री के आधार पर . भारतीय आर्यभाषाओं का .
संक्षिप्त परिचय तथा हिंदी: भाषा के मुख्य-मुख्य रूपों का. संक्षिप्त इतिहास देने
. का प्रयास किया. गया था । यह अध्याय इसी शीर्षक से अलग पुस्तकाकार
है तथा कुछ संशोधित रूप मैं हिंदी भाषा त्रौर साहित्य अंथ के. पूर्वाद्ध
. में भी. मिलता. है.।. हिंदी भाषा का यह विवेचन. हिंदी में अपने. ढंग का पहला
है किंत इस में बड़ी भारी त्रटि यह है कि वणुनात्मक अंश तथा. ऐतिहासिक
“व्याकरण -संबंधी.. अंश एक दूसरे से. मिल गए हैं तथा ऐतिहासिक
व्याकरण संबंधी सामग्री अत्यंत संक्षिप है । यह कृति हिंदी भाषा के
विकास पर पुस्तकाकार विस्तृत निबंध मात्र है । यहां पर श्यामसुंदर दास तथा
हट पदमनारायण आचार्य के 'माषारहत्य भाग ₹. (२९.३९. इु०) का उल्लेख कर
कि देना भीं उचित होगा । अंथ के इस प्रथम मांगे में केवल '्वनि का ब्रिषय विस्तार
के साथ. दिया गया है । प्राचीन भारतीय आंचार्यों के मतों का यत्र तत्र समावेश
की विशेषता है । लेखक के हिंदीमाषा के इतिहास के प्रथम. संरकरण
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