राष्ट्रपति कृपलानी | Rashtrapati Kripalani
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
110
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)की शय्या श्रौर काँटों के ताज के समान है । “उपभोग” शब्द का प्रयोग
उसके साथ किया नहीं जा सकता । काँटों के इस माग पर नंगे पेरों
चलने का साहस श्रद्धा, विश्वास श्रौर निष्ठा के साथ करना कितना कठिन
है ? इस पथ के राही निश्चय ही धन्य हैं । ्राचाय कृपलानी ने स्वेच्छा
से दृढ़ता के साथ इस मार्ग को श्रपनाया है श्रौर उस पर श्रागे बढ़ते हुए
दर कदम जिस श्रद्धा, विश्वास तथा निष्ठा के साथ श्रागे बढ़ाया है वह
हम सबके लिए श्रनुकरणीय है ।
इस श्नुकरणीय जीवनी की कहानी इस छुटी-सी पुस्तिका में
गुरुकुल विश्वविद्यालय काँगड़ी के ब्रह्मचारी सत्यकाम ने उपस्थित की है।
ब्रह्मचारी श्र भी चोददवीं श्रेणी में पढ़ता है; किन्तु वह प्रतिमावान् , होन-
हार श्रौर जागरूक है । पढ़ने - लिखने में उसकी विशेष सूचि है । पत्र -
पत्रिकाद्यों में उसके लेखों का सम्मान के साथ स्थान मिलता है । पुस्तिका
के रूप में कुछ लिखने का उसका यद पदिला ही प्रयास है । इसमें उसको
अच्छी सफलता मिली है । मापा में प्रवाद और श्रोज है । विचार स्पष्ट
श्रोर सुलभे हुए हैँ । विषय के प्रतिपादन की शैली सरल और सुन्दर है ।
कथा - कहानी, निबन्घ एवं उपन्यास की अपेक्षा जीवनी का लिखना कहीं
अधिक कठिन है । काल्पनिक चित्र की तुलना में किसी की तसवीर बनानी
जितनी कठिन है, उतना ही कठिन जीवनी का लिखना है । इस कठिन
काय के सम्पादन करने में लेखक को जो सफलता मिली है, उसके लिए,
इस पुस्तिका के पाठक निश्चय ही उसको बधाई देकर उसका साहस बढ़ा-
येंगे श्रौीर उसके परिश्रम को सफल बनायेंगे ।
हिन्दी का जीवनी - साहित्य अन्य भाषाओं के जीवनी - साहित्य को
तुलना में बहुत पीछे है । मौलिक जीवनियों का उसमें श्रौर भी अधिक
श्स्मव है । इस श्रभाव की पूर्ति की आर यदि लेखकों का ध्यान जा सके,
तो वेराष्ट्र निर्माण के लिए उपयोगी एवं मददत्वपूण साहित्य का निर्माण
कर राष्ट्र की बहुत बड़ी सेवा कर सकेंगे । किसी भी राष्ट्र के निवासियों में
ट
User Reviews
No Reviews | Add Yours...