भारत के राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा दिए गये महत्त्वपूर्ण भाषण | Bharat Ke Rashtrapati Dr. Rajendra Prasad Dwara Diye Gaye Mahattvapurna Bhashan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ञ वह निजी जीवन को किस प्रकार ग्रघिक से अधिक सुखी बनाएं. म्रौर म्रपनी परिस्थितियों को किस प्रकार इस महत्वाकाक्षा के म्रनुरूप करे । जिन्हें हम ऑ्राधुनिक विचार कहते हैं उनकी नीव एकदम नवीन नहीं । इस नीव के निर्माण में, दृदय अ्रथवा ग्रदृश्य रूप से, सदियों पुरानी परम्परागत विचारधारा ने योग दिया है । इसलिए यह झ्रावव्यक है कि हम इस तथ्य को म्रपने जीवन में अनुभव करे श्र प्राचीन तथा श्रर्वाचीन के समुचित समन्वय का प्रयास करे । इस महत्वपूर्ण तथा कल्याणकारी कार्य के लिए यह श्रावस्यक है कि हम सस्कृत का विशेष रूप से श्र भ्रन्य भारतीय भाषाओं का साधारण रूप से अध्ययन करे । प्रागैतिहासिक काल से जीवन के सभी विभागों में हमारे देख के विकास का सम्बन्ध सदियों तक सस्कृत भाषा से जुड़ा रहा , यद्यपि बौद्ध तथा जैनका लीन साहित्य श्रोर विचारधारा बहुत करके पाली स्रौर प्राकृत भाषाम्ों में उपलब्ध है। इन सभी कं, श्रौर इनके साथ ही इनकी उत्त राधिकारिणी ग्राधुनिक भारतीय भाषाग्रों के ग्रध्ययन के बिना अ्रभीप्ट समन्वय सभव नही । कुरुक्षेत्र विष्वविद्यालय के सस्थापक दन्ही विचारों से प्रभावित हुए है ग्रोए उपयुंक्त उद्दव्यो को ध्यान में रखते टूए ही वे इस विस्वविद्यालय की स्थापना करने जा रहे हैं। श्रत इस विद्वविद्यालय के पाठ्यक्रम तथा अनुसन्धान-सम्बन्धी कार्य - क्रम इसी उदेव्य के अनुकल होंगे । जो विभाग यहा खोले जा रहे है श्रौर जो पाठ्यक्रम निर्धारित किए जाएंगे उन में भी समन्वय की भावना से ही काम लिया जाएगा । इन सभी में विदद्ध ज्ञानोपार्जन और जीवन की व्यावहारिक श्राथ- व्यकताओं में यथासभव समन्यव से काम लेना होगा । मुझे विश्वास है कि यह विष्वविद्यालय, जिसे हम थिक्षा की दिला में नया परीक्षण कह सकते हैं एक ऐसे अभाव की पूर्ति करेंगा जो झ्रभी तक स्वटकता था । इस विदवविद्यालय क॑ लिए झ्ापने जो स्थान चुना हे. उसका अपना महत्व है। प्राचीन काल की महत्वपूर्ण घटनाओं आर ग्नेक घासिक तथा सास्क्रतिक सस्कारों से सम्बद्ध, कुरूक्षेत्र पजाब राज्य के लगभग कन्द्र में स्थित है । उधर दहातो मे विदवविद्यालय श्रौर थिक्षण केन्द्र रथापित करने की जो परिषाटी चली है, कुरूभेत्र विष्वविद्यालय उस योजना के भी अनकल होगा, क्योकि यह स्थान चारों तरफ से देहातों से घिरा है । इस दिवा में यह पग उठा कर पंजाब सरकार ने प्रदसनीय काये किया है । कुरुक्षेत्र में सस्कृत विद्वविद्यालय की स्थापना बरबस हमें उस यंग को रसरण दिलाती है जब दस प्रदेश में सस्कृत के प्रकाण्ड पण्टित अर पाणिनी




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