समस्थानसूत्र षष्ठ स्कन्द | Samasthan Sutra Shasth Skandh
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
240
श्रेणी :
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मनोहर जी वर्णी - Manohar Ji Varni
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महावीरप्रसाद जैन - Mahavirprasad Jain
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)२६ वां झध्याय
और परिणामते पैदा होने वाले मिले रूप परिणाम ला यिकर्परिंसामिक-
सान्िपार्तिकजीवभाव कहलाते हैं । जैसे चीणुकपाय वाला भव्यत्व रूप
परिणास ।
(१०) क्ायोपशसि रुपारिणामिक सालिपातिक भाव:--फर्मोके
कायोपशाम तथा परिणामते पैदा होने वाले मिले रूप परिणाम इसके
श्मन्तर्गत श्राते हैं । जसे श्रवधिज्ञानी जीव ।
(१९) ्रौदयिक-झौ पशमि क-क्षायिक साननिपातिक जीवभावः-ा
कर्मोके उदय उपशम और क्षय उत्पन्न होने बाले जीवके. मिले रूप
परिणाम इस नाम वाले दोते हैं । जेसे मनुष्य उपशान्तमोद क्षायिक
सम्यग्टघ्टि रूप परिणाम ।
(१२) दयिक-ौपशमिक-कायो पशसिक सा निपातिक जीव-
भाव--कर्मोके उदय उपशम श्र ्षयोपशमसे उत्पन्न होने वाले जीव
के मिले हुए परिणामों को इस नाम से पुकारते हैं । जैसे मनुष्य उपशा-
न्तमानकपषायी वाग्योगी रूप परिणाम ।
(१३) ओदयिक-छौपशमिक-पारिशामिक सानिपारतिक जीव
भावः--अकर्मोंके उद्य उपशप ओर परिणामसे उत्पन्न होनेबाले जीवके
मिले हुए परिणाम इस कोटिमे श्राते हैं ! जेसे मनुष्य उपशान्तक्रोधी
भव्यत्व रूप परिणाम ।
(१४) आदयिकक्ायिक्तायो पशामि कसानिपातिक जीवभावः”-
ऐसे भाव जो कर्मोके उदय, क्षय श्यौर क्षयोपशमसे उत्पन्न होते हैं तथा-
मिले हुए द्वोते हैं वे भाव इसके अन्तगंत आते हैं । जैसे मनुष्य क्षीशुक-
चायी श्रुतज्ञानी ।
(१४) चोदयिकक्षायिकपारियामिकसालिपातिक जीवसाव:--
फर्मों के उदय क्षय श्और परिणामके निमित्तसे होने वाले सिलेहुए भाव
इस नामसे पुकारे जाते हैं । लेसे मनुष्य क्षीणद््शनमोदी जीघत्व
रूप मिश्रपरिणाम ।
(१६ दयिकक्त।योपशमि कपारिशामिकसालनिपातिक जीब-
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