साहित्य और जीवन | Sahitya Aur Jivan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Sahitya Aur Jivan by बनारसी दास चतुर्वेदी - Banarasi Das Chaturvedi

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about बनारसी दास चतुर्वेदी - Banarasi Das Chaturvedi

Add Infomation AboutBanarasi Das Chaturvedi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
हा साहित्य और जीवन श्प्र 'रहन-सहन के प्रतीक है । जब इन निवासियों मे वौद्धिक जीवन का विकास होगा, तब ये चीजे बदलेगी , लेकिन इसके पूर्व भी उनमें आध्यात्मिक भावना का प्रवेश होना चाहिए । ज्यो-ज्यो व्यक्तियों के चरित्रो मे परिवतंत आता जाता है, त्यो-त्यो घर-घर और ग्राम-ग्राम मे सस्कृति तथा सभ्यता का रूप भी बदलता जाता है । जव हम राष्ट्र की आत्मा में एक उच्च जगत्‌ का निर्माण करना प्रारभ कर देते हें तव हमारे देश का वाह्म रूप भी सुन्दर तथा सम्मानयोग्य वन जाता है । कोरमकोर कर्मशील पुरुषों की अपेक्षा हमें इस समय ऐसे विद्वानों की--अथेंणास्त्रियो, वैज्ञानिकों, विचारको, दिक्षा-विशेषज्ञो तथा साहित्य-सेवियो की--अधिक आवइद्य- कता है, जो जातीय ज्ञान के क्षेत्र को, जो इस समय गभीर रेगिस्तान के समान है, विचारों की धारा से सीच कर उर्वर वना दे !”' कवीन्द्र श्री रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने इसी युग-धर्म के तकाजे को अपनी पुस्तिका 'नगर और ग्राम' ((फापप् 00 थ॥9छु6) में बडी खूबी के साथ बतलाया हैं । उन्होने लिखा है-- “हमारा उद्देश्य यह है कि ग्राम-जीवन की नदी की तह मे, जो झाड- झखाडों भौर कूडे-करकट से भर गई हैं, और जिसमे प्रवाह नहीं रहा, आनन्द की लहर की वाढ ला दे । इस कार्य के लिए विद्वानों, कवियों, गायको तथा कलाकारों के सम्मिलित प्रयत्न की आवश्यकता हैं । ये सब मिलकर अपनी-अपनी भेट (शुष्क ग्राम-जीवन को सरस वनाने के लिए ) लायगे । यदि ये लोग ऐसा नहीं करते तो समझना चाहिए कि ये जोक की तरह हे, जो ग्रामवासियो का जीवन-रस चूस रहे है और उसके बदले में उन्हे कुछ भी नही दे रहे। इस प्रकार का शोषण जीवन्त-रूपी भूमि की उवंरा-शक्ति को नष्ट कर देता है । इस भूमि को वरावर जीवन- रस मिलता ही रहना चाहिए, और उसका तरीका आदान-प्रदान ही है। जो उससे कुछ ले, वह उसे किसी रूप में वापस दे और इस प्रकार दान- प्रतिदान का चक्र बराबर चलता रहे ।” कवीन्द्र ने इन थोडे-से णब्दो में लेखकों, कवियों, गायकों और कला-




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now