विप्लव | Viplav

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Viplav  by राधामोहन गोकुलजी - Radhamohan Gokual Jee

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( % )' विवाद के पश्चात्‌ यद अपने दादा के पांस श्रोगरे गये । श्रागरे के संटजांस कालिजियेट स्कूल में इन्होंने अपनी दो इच्छा से श्रंग्र जी पढ़ी । सन्‌ १०८४ में व्यापारिक दुर्घटना के कारण श्रागरा छोड़कर इलादाबाद में नौकरी की खोज में श्राना पड़ा । दिसाव के मुदकमे में २० को पप्रेटिसी मिली । लेकिन इस जगद पर & मददीने काम करने पर एक अंग्रेजी कंसेंचारो से' कंगड़ा दो गया, इन्होंने उसे दो रूल जमाकर घर का रास्ता लिया । घर पर पहुँच कर सार्टीफिकेट जला डाले श्रौर यावज्ञी- चने सरकारी नौकरी न करने की प्रतिज्ञा की । यह घटना जूलाई सम १८६ की है । सन्‌ १८८५ सें स्वदेशी का बड़ा चर्चा था । इलाहाबाद में पक.स्वदेशी तिजारत कम्पनी वनों इसमें २४] २५] रुपयों के' हिस्से थे 1 इस गरोब वालक ने भा एक दिस्सा स्वदेशो के प्रेम से ले;लिया श्रोर सदा 'के लए देशी दी चख्र व्यवहार करना निश्चय किया । कांगरेस का जन्म भी इसी समय हुश्रा । पदुली बैठक जो चम्बई से श्राप हुए प्रस्तावों पर विचार करने के लिये जानसन गन् की शिवराखन पाठशाला में हुई उसमें परिडत खुन्दरलाल चकील झष्यक्ष' थे । कुत्त १४-१४ “झादमी पकत्र हुए । श्रीमान पणिडत मदन सोदइन मालवीय प्रधान वक्ता थे, यह. भी 'इनकी वत्कता खुनने के लिए उस सभा में मौजूद. थे । “इन पर खासा प्रभाव पड़ा ।




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