विप्लव | Viplav
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
310
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about राधामोहन गोकुलजी - Radhamohan Gokual Jee
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( % )'
विवाद के पश्चात् यद अपने दादा के पांस श्रोगरे गये ।
श्रागरे के संटजांस कालिजियेट स्कूल में इन्होंने अपनी दो इच्छा
से श्रंग्र जी पढ़ी । सन् १०८४ में व्यापारिक दुर्घटना के कारण
श्रागरा छोड़कर इलादाबाद में नौकरी की खोज में श्राना पड़ा ।
दिसाव के मुदकमे में २० को पप्रेटिसी मिली । लेकिन इस
जगद पर & मददीने काम करने पर एक अंग्रेजी कंसेंचारो से'
कंगड़ा दो गया, इन्होंने उसे दो रूल जमाकर घर का रास्ता
लिया । घर पर पहुँच कर सार्टीफिकेट जला डाले श्रौर यावज्ञी-
चने सरकारी नौकरी न करने की प्रतिज्ञा की । यह घटना जूलाई
सम १८६ की है ।
सन् १८८५ सें स्वदेशी का बड़ा चर्चा था । इलाहाबाद में
पक.स्वदेशी तिजारत कम्पनी वनों इसमें २४] २५] रुपयों के'
हिस्से थे 1 इस गरोब वालक ने भा एक दिस्सा स्वदेशो के
प्रेम से ले;लिया श्रोर सदा 'के लए देशी दी चख्र व्यवहार
करना निश्चय किया ।
कांगरेस का जन्म भी इसी समय हुश्रा । पदुली बैठक जो
चम्बई से श्राप हुए प्रस्तावों पर विचार करने के लिये जानसन
गन् की शिवराखन पाठशाला में हुई उसमें परिडत खुन्दरलाल
चकील झष्यक्ष' थे । कुत्त १४-१४ “झादमी पकत्र हुए । श्रीमान
पणिडत मदन सोदइन मालवीय प्रधान वक्ता थे, यह. भी 'इनकी
वत्कता खुनने के लिए उस सभा में मौजूद. थे । “इन पर खासा
प्रभाव पड़ा ।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...