जेम्स एलेन की डायरी अथवा दैनिक ध्यान | Jems Elan Ki Dayari Athava Dainik Dhyan

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Jems Elan Ki Dayari Athava Dainik Dhyan by जेम्स एलेन - James Allen

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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वैनिक ध्यान 3 [४ जनवरी ७ न इम समर दते ईं दो नीचे की चीसे पीछे छोड़ते जाते हूं नीचे की 'चीबों का स्पाग करने से ही हमें ऊपर की चीये मिलती हैं! बुराई को छोड़ने से दी इमें मलाई मिलती दे । अडान को छोड़ने से दी शान की प्राप्ति दोठी दे | प्रत्येक शाम के लिये हमें पक एक पाई मूस्य खुष्पना पता दे । प्रत्येक भीयपारी में कुछ न कुछ ईस्वरीय शक्ति शेती ही दे जिसे ममुष्य, ऊपर उठते समय, नीचे छोकता भाता दे | उठके स्थान में उसे पक 'प्रभिक प्रम्पवशाली ईश्वरीय शक्ति मिलती दे । इसलिये पुरानी गलत झादतों में पढ़े रहने से मनुष्य को कमा लाम दो सकता दे उससे लो उसको हानि शी देसी दे । चब हमारे मन में स्वार्थ की जग स्पाग की माना उत्पन्न दोती है तय देवदूत इमें शान और बुद्धि फी पद्ाड्ी पर ले दाने के लिये तेयार जड़े रइते हूं । सिसने झपनी झार्मिक उन्नति कर शी दे उसे इमेशा 'वौकना रहना 'ाइिए; ताकि फिर नीचे न गिरने पाषे । छोटीछोटी बातों में मी उसे सावघान देने की धस्रत दे. किशे की तरइ उसे अपने को ममपूत बनाने की भसूरत दे, जिससे कि फिर कोई पाप उसके मीतर न था सके । जनवरी ८ इस भोवन में काम करने की स्फूर्ति हमें झपने हुदय से मिलती दे । घुख श्बौर सुस फरीं बाहर से नहीं झाते । वे ठो इमारे झुदम शौर मन में ही रहते दें। बिठने काम इस इस शरीर से करते ईिं उन्हें इमारे इद्य श्र मन से दी शक्ति मिक्रती है । लो मनुष्य अपनी भूलों और कमलोरियों को प्रकट नहीं करता, प्रत्युत उन्हें छिपाने की कोशिश करता है, बह सस्प' फे दिग्य मार्ग पर नहीं बल सकता उसमें व शक्ति नदीं रइती घिसके दारा ६ प्रलोमनों का सामना करके उनको अपने पश में कर सके । थो अपनी औओछी प्रइत्तियों कया वद्दादुरी के साथ सपमना नहीं कर सकता वह स्पाग के शुरदरे टीसे पर चढ़ नददीं सकसा ।




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