नीतिवाक्यामृत में राजनीति | Nitivakyamirit Mein Rajniti

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Nitivakyamirit Mein Rajniti  by एन० के० शर्मा - N. K. Sharma

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about एन० के० शर्मा - N. K. Sharma

Add Infomation AboutN. K. Sharma

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
शास्त्र शम्भन्धी समस्त विषयों का इतना विशद एवं सारगमित विवेचन हुआ हो । कौटिस्य जैसा महान राजनीतिक एवं कूटनीतिश भी तक ससारमें उत्पन्न ही नहीं हुआ । कौंटित्य राजयीतिके जाता ही नहीं राजनीति के एक प्रमुख सम्प्रदाय के संस्थापक भी थे । वे इस आत से भली-भाँवि परिचित थे कि लोक कल्याण के लिए केवल उत्तम शासन व्यवस्था हो पर्याप्त सही वरन्‌ उस के लिए आर्थिक तथा सामाजिक व्यवस्था भी उतनी हो आक्दयक है । खुगठित सामाजिक तथा आर्थिक व्यवस्था स्थायी शव सुदुढ़ राज्य की आधार शिछा है। अत जहाँ कौटित्य ने आर्थिक नीति सम्बन्धी विषय का प्रतिपादन किया है वहाँ उन्होंने उन नियमों का भी उल्लेख किया है जिन से एक आदर्श ला सुब्यवस्थित समाज की स्थापना सम्भव हो, सकती है । समाज के दुर्गुण, असन्तोष तथा उस की शिथिकता सम्पूर्ण राज्य के लिए घातक सिद्ध हो सकती है । इसलिए कौटिल्य ने उन नियमों का भी प्रतिपादन किया है जिन से एक बिशुद्ध एवं सुन्दर समाज की स्थापना हो सके भर उस में निवास करने वे व्यक्तियों को नैतिक तथा भोतिक उन्नति हो सके । उत्तम राजनीतिक सगठन तथा सामाजिक संगठन दोनो ही लोक कल्याण के लिए बहुमूल्य साधन हैं । अथंधास्त्र का रखना काल कौटिल्य के अर्थदास्त्र को तिथि के सम्बन्ध में विद्वानों में मतभेद हैं । भारतीय परम्परा के अनुसार मोर्य सम्राट चम्द्रगुप्त के मन्त्री विष्णुगुप्त ने इस की रचना की थी । अर्थशास्त्र में उन के लिए कौटिल्य लाम भी प्रयुक्त हुआ है ।' अग्य स्रोतों से यह भी ज्ञात होता है कि उन को चाणक्य भी कहते थे (१३, १४) । अर्थशास्त्र के अन्त साक्ष्य तथा बहि साय दोनो से ही यह सिद्ध होता है कि इस के रचयिता मौर्य सम्नादू चन्द्रगुप् के गुरु एव प्रधान मन्त्री कौटिल्य ही थे और यह प्रन्थ मोर्यकाल में हो रचा गया । चन्द्रगुप्त मौर्य का शासनकाल ३२१ मथवा ३२३ ई# पूर्व प्रारम्भ होता हैं । अत अर्थशास्त्र का रचनाकाल भी इसो तिथि के समीप मानना न्यायसगत होगा । अर्थशास्त्र के १५वे अधिकरण में लिखा है कि जिस ने शास्त्र, दास्त्र और नन्द राजाओं से भूमि का उद्धार किया, उसी विष्णुगुप्त ने यह अर्थशास्त्र बनाया है अन्य प्राचीन ग्रत्थो से भी इस बात की पृष्टि होती है कि कौटिल्य नन्दवश का अन्त करने वाला तथा चन्द्रगुप्त मौर्य को मगघ के सिंहासन पर आसीन कराने वाला व्यक्ति था और उसी ने अथदास्त्र की १ को० खर्थ० इ, ( । सर्व शञास्त्राण्यनृक्रम्य प्रयोगमुपलम्य च । कौ टिल्थेन नरेन्द्रार्थ दासनस्य विधि कृत ॥ २ कौ० अर्थ० १४, १1 ३ कॉमन्दक नीतिसार ९, ६ । ४ कौ० अर्थ० ६६, १1 समारत में साजनीतिशास्त्र के अध्ययन की परम्परा श




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now