धोखा धड़ी | Dhokha Dhari

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Dhokha Dhari by ललिता प्रसाद सुकुल - Lalita Prasad Sukul

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आअड्ू १ _ जिल--चाहे जिसका--आऔर मेरा भी 1 हिलक्रिस्ट--और कहां ? जिल--चाहे जहां मेरो सीमा आप केवल घर की फुलचारी तक ही तो सममते नहीं ? में तो स्वमाव से ही घूमने घामने वाली ठदरी । ताने के साथ | नही -ऐसा न कहो । दूसरे शासन तो उसे बिल्कुल दही पसन्द नहीं । दिलक्रिस्ट--तब तो सचमुच वहां बड़ा बेढब जान पड़ता है । जिल--श्ोर तीसरे वह श्रपने पिता का थिरोध करता है। दिलक्रिस्ट--क्या यही अच्छी लड़कियों के लिये भी ावश्यक है ?




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